इंटरनेट की सुविधायुक्त जीवन लाइट को मोबाइल ऐप के जरिए चलाया जा सकेगा। मोबाइल ऐप के अलावा यह बैटरी पर भी चलेगा ताकि बिजली कटौती के वक्त मरीज को किसी तरह की असुविधा नहीं हो। एरोबायोसिस को जीवन लाइट के प्रमाणन की प्रतीक्षा है। इसके बाद आइआइटी की यह स्टार्ट अप कंपनी प्रतिदिन ५० से ७० पोर्टेबल वेंटिलेटर तैयार करेगी।
आइआइटी हैदराबाद के बायोमेडिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख व सीएफएचइ के सह प्रमुख प्रोफेसर रीनू जॉन का कहना है कि इस पोर्टेबल वेंटिलेटर में वायरलैस कनेक्टिविटी है। मरीज की हर सांस रिकॉर्ड होगी और दूर बैठे ऐप से इसका संचालन कर रहे डॉक्टर तक पहुंचेगी। इस डिवाइस को ऑक्सीजन सिलेंडर से भी जोड़ा जा सकता है। दूर से निगरानी की सुविधा से लैस होने की वजह से यह कोविड-१९ जैसी महामारी के वक्त कारगर साबित होगा। टाइप-२ डायबिटीज के मरीज अगर कोरोना संक्रमित हो जाते हैं तो उनको वेंटिलेटर की अधिक आवश्यकता पड़ती है।