कांग्रेस को नहीं मिली सफलता कांग्रेस को पुदुचेरी की सत्ता से बेदखल करने वाले रंगासामी के लिए यह चुनाव व्यक्तिगत रूप से खट्टा-मीठा अहसास लेकर आया। खट्टा इस लिहाज से कि उन्हें यनम सीट से महज 28 वर्ष के एक नौजवान के हाथों 1,000 से भी कम वोटों से शिकस्त खानी पड़ी। पुदुचेरी के दो बार मुख्यमंत्री रहे और 1990 को छोड़कर कभी चुनाव नहीं हारने वाले रंगासामी को इस हार से झटका तो जरूर लगा होगा। हालांकि उन्होंने थट्टनचावड़ी जीत हासिल की है। रंगासामी को यनम सीट पर कांग्रेस के समर्थन प्राप्त निर्दलीय कैंडिडेट जीएस अशोक ने हराया तो थट्टनचावड़ी में कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के के. सेतु को रंगासामी से हार का मुंह देखना पड़ा।
पिछले चुनाव में किसी से गठबंधन नहीं पिछली विधानसभा चुनाव में रंगासामी ने किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं किया था। उनकी एआईएनआरसी को कांग्रेस ने हरा दिया जिसके बाद रंगासामी लगभग निर्वासन में रहने लगे। उसके बाद 2019 का लोकसभा चुनाव और दो उप-चुनाव में भी उनकी पार्टी को कांग्रेस-डीएमके गठबंधन से मात मिलती रही। लेकिन रंगासामी ने वेट ऐंड वॉच की नीति अपनाई। इस चुनाव से पहले बीजेपी, कांग्रेस और डीएमके तीनों ने उनके सामने गठबंधन का प्रस्ताव रखा। रंगासामी ने बीजेपी के साथ एनडीए जॉइन करने का फैसला किया। लेकिन गठबंधन के बाद भी उन्होंने अपने पार्टी के सदस्यों को निर्दलीय के रूप में मैदान में उतार दिया। आज उनके पास चार निर्दलीय विधायक भी हैं जिनसे उन्हें और भी ज्यादा ताकत हासिल हो गई है। इसी तरह बीजेपी के छह विधायकों के साथ रंगासामी की नई सरकार को कम-से-कम 20 विधायकों का समर्थन हासिल होगा।
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