अगर मंजूरी मिलती है तो आरक्षण नीति सरकारी गजट में प्रकाशित कर लागू कर दिया जाएगा। अगर उपराज्यपाल इसे मंजूरी नहीं देती हैं तो सरकार आरक्षण नीति को लेकर विरोध शुरू कर देगी। उन्होंने कहा कि 2018-19 के दौरान सरकारी और सरकारी मान्यता प्राप्त स्कूलों के सिर्फ 94 विद्यार्थी नीट को पास कर पाए थे, जबकि निजी स्कूलों के 1,846 विद्यार्थी पास हुए थे। पिछले साल सरकारी स्कूल के सिर्फ 16 विद्यार्थी मेडिकल में प्रवेश हो पाए थे, जबकि निजी स्कूल के 243 विद्यार्थी प्रवेश हुए थे। उन 16 विद्यार्थियों में 11 माहे, तीन करैकल और दो पुदुचेरी के थे। नारायणसामी ने कहा निजी स्कूल के बच्चे, जो सीबीएसई पैटर्न का अनुसरण कर विशेष कोचिंग लेते हैं, आसानी से नीट पास कर लेते हैं, लेकिन सरकारी व सरकारी मान्यता प्राप्त विद्यार्थियों को अच्छे से कोचिंग और ट्रेनिंग नहीं मिलता है।
स्थिति को गंभीरता से लेते हुए कांग्रेस सरकार ने सरकारी और सरकारी मान्यता प्राप्त स्कूल के विद्यार्थियों के लिए मेडिकल प्रवेश में दस प्रतिशत आंतरिक आरक्षण प्रदान करने का तय किया है। उल्लेखनीय है कि तमिलनाडु सरकार ने भी सरकारी और सरकारी मान्यता प्राप्त स्कूल के विद्यार्थियों को मेडिकल प्रवेश में 7.५ प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने को लेकर गत 15 सितंबर को विधानसभा में सर्वसम्मति के साथ विधेयक पारित किया था। राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित को मंजूरी के लिए विधेयक भेजा गया है, लेकिन वे अब तक मंजूरी नहीं दिए हैं। डीएमके अध्यक्ष एम. के. स्टालिन द्वारा हाल ही में लिखे गए एक पत्र के जवाब में राज्यपाल ने कहा था कि तीन से चार सप्ताह के अंदर इस संबंध में उचित निर्णय लिया जाएगा।