मद्रास हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति अनीता सुमन ने रजनीकांत को चेतावनी देते हुए कहा कि कर की मांग के खिलाफ कोर्ट आने के लिए उनपर लागत लगाई जा सकती है। रजनीकांत के वकील ने अपना केस वापस लेने के लिए कोर्ट से थोड़ा समय मांगा है। दरअसल, अभिनेता का कहना था कि उन्होंने 24 मार्च से मैरिज हॉल श्री राघवेंद्र कल्याण मंडपम का इस्तेमाल नहीं किया तो टैक्स किस आधार पर लिया जा रहा है।
रजनीकांत ने अपनी दलील में कहा कि कोरोनो वायरस लॉकडाउन की घोषणा के बाद 24 मार्च, 2020 से मैरिज हॉल खाली पड़ा है। इसलिए कोई राजस्व अर्जित नहीं किया गया था। निगम ने छमाही आधार पर तमिल सुपरस्टार को संपत्ति कर नोटिस भेजा था। उनके मुताबिक, 6.5 लाख रुपए का प्रॉपर्टी टैक्स जोडऩा गलत है। रजनी ने कॉर्पोरेशन में आवेदन भी दिया था, जिसका कोई जवाब नहीं मिला।
अपने वकील विजयन सुब्रमण्यम के माध्यम से रजनीकांत ने अपनी याचिका में यह भी उल्लेख किया कि लॉकडाउन के बाद से उनका मैरिज हॉल किराए पर नहीं लिया गया। इससे पहले वो मैरिज हॉल के लिए नियमित रूप से प्रॉपर्टी टैक्स का भुगतान करते रहे थे। 10 सितंबर को रजनीकांत को टैक्स का भुगतान करने के लिए निगम से चालान प्राप्त हुआ था।