पाली के नानणा से शुरू किया सफर वर्ष 1982 में चेन्नई के चूलैमेडु में जन्मे राकेश की शिक्षा लालचंद मिलापचंद ढड्ढा सेकंडरी स्कूल में 12वीं तक हुई। इसके बाद मीनम्बाकम स्थित एएम जैन कॉलेज से बी.कॉम. की डिग्री हासिल की। राकेश के दादा मीठालाल भंसाली करीब साठ साल पहले अपने मूल गांव राजस्थान के पाली जिले के नानणा से व्यवसाय करने के लिए उद्देश्य से एक रिश्तेदार के साथ चेन्नई आए। यहां आकर उन्होंने चूलैमेडु में एक दुकान लेकर से गिरवी का व्यवसाय शुरू किया और उसे आगे बढ़ाया। वर्ष 1975 में उन्होंने अपने पुत्र मोतीलाल को भी व्यवसाय में शामिल कर लिया। इसके बाद उन्होंने एक और दुकान की शुरुआत की। वर्ष 1991 में मोतीलाल भंसाली का स्वर्गवास होने पर राकेश भंसाली ने दुकान संभाली और उसे आगे बढ़ाया। वर्ष 2005 में उन्होंने एक और शाखा खोली। इसके बाद वे अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाते आ रहे हैं।
समाजिक सेवाओं में बढ़-चढ़कर लेते हैं हिस्सा जब व्यवसाय ने गति पकड़ ली तो भंसाली श्री महावीर युवक मंडल से जुड़ गए। वे वर्ष 2014 में उसके मंत्री बने और वर्तमान में भी हैं। इस संस्था के तहत उन्होंने अनेक नेत्र, दंत जांच शिविर लगवाते हैं जबकि तेरापंथी नवयुवक मंडल के साथ मिलकर रक्तदान शिविर लगवाते हैं और महावीर इंटरनेशनल चेन्नई मेट्रो के साथ मिलकर वे स्कूलों व कॉलेजों में नोटबुक, पुस्तकें वितरित करते हैं। इसके अलावा राजस्थानी एसोसिएशन चेन्नई के साथ स्कूलों व कॉलेजों के छात्रों में स्कॉलरशिप देने में सहयोग करते हैं। भंसाली पारसमल प्रकाशचंद ललवानी जैन चेरिटेबल ट्रस्ट के साथ मिलकर अब तक छह सरकारी स्कूलों में आरओ वाटर प्लांट लगवा चुके हैं।