उन्होंने कहा कि हमें तुत्तुकुड़ी स्टरलाइन प्लांट के खिलाफ जारी हिंसा मेंं मारे गए 13 प्रदर्शनकारियों के मामले की तरह कस्टडी में हुई पिता पुत्र के मामले को भी आंख में धूल झोंक कर खत्म किए जाने का डर है। प्लांट मामले में पिछले दो साल के अंदर एक भी आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज नहीं किया गया है। आरोपियों को बचाने के लिए सीबीआई जांच भी बहुत ही धीमी गति से हो रही है। ऐसी परिस्थिति में मामले की जांच के लिए सीआईटी का गठन किया जाना चाहिए। अलगिरी ने मामले में लिप्त कुछ आरोपियों को बचाने की कोशिश करने को लेकर सरकार की निंदा भी की। उल्लेखनीय है कि तुत्तुकुड़ी में अपने मोबाइल फोन की दुकान को अनुमति के घंटों से अतिरिक्त खुला रखने के कारण सांताकुलम ने पुलिस पिता-पुत्र को गिरफ्तार किया था और उनकी हिरासत में ही मौत हो गई थी। पीडि़त परिजनों ने जेल के अंदर पुलिस अत्याचार का आरोप लगाया था। मामले का राज्य भर में विरोध किया जा रहा है। वहीं रविवार को मुख्यमंत्री एडपाडी के पलनीस्वामी ने कहा था कि कोर्ट की अनुमति मिलने के बाद मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी जाएगी।