इस अवसर पर महोत्सव के निमित्त विधि विधान और मंत्रोच्चार के साथ चढ़ावों की जाजम बिछाई गई जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे। संघ के सचिव नरेन्द्र श्रीश्रीमाल ने स्वागत भाषण में कहा चेन्नई में पहली बार चेन्नई में एक साथ 10 दीक्षाएं हो रही हैं। महोत्सव के संयोजक रमेश मूथा ने भी विचार व्यक्त किए।
आचार्य ने कहा आज हमें पता नहीं है कि हमें कहां जाना है। जीवन नदी के पानी के प्रवाह की तरह जा रहा है। लेकिन हमें कहां पहुंचना है यह पता नहीं। महापुरुषों ने इसका सरल रास्ता बताया है। परमात्मा के साथ अपना कनेक्शन कर दो, संबंध जोड़ दो फिर हमें कहीं जाने की जरूरत नहीं है, परमात्मा हमें ले जाएंगे। उन्होंने कहा शास्त्रकारों ने बताया कि प्रतिमा भराने से यहां या भवांतर में सम्यक दर्शन की प्राप्ति निश्चित है। उसी तरह परमात्मा के परिवार के साथ रिलेशन जोडऩा है। उसका फल भवांतर में तीर्थंकर कुल में जन्म के रूप में मिलेगा। उन्होंने कहा यह परमात्मा की भक्ति करने का अवसर है जिसे आपको भुनाना है। कोई भी तीर्थंकर बनने से पहले मुनि बनते हैं।
मुनि तीर्थ तिलकविजय ने कहा 25 वर्ष पहले एक महात्मा ने आकर यह कार्य किया अब उनके प्रतिनिधि यहां आकर यह कार्य कर रहे हैं। परमात्मा की भक्ति की शुरुआत जाजम महोत्सव से करेंगे। समारोह में सम्मान, प्रतिमा भराई, गर्भगृह प्रवेश, पंचकल्याणक के पात्रों, नवकारसी, फले चूंदड़ी, विविध महापूजन, दीक्षा महोत्सव निमित्त भव्य नाटिका, दीक्षार्थियों का वरघोड़ा, आंगी- रोशनी, प्रभुभक्ति एवं विविध विशिष्ट लाभ के चढ़ावे बोले गए।