आत्मा का दमन करने के लिए संयम और संवर की आवश्यकता होती है। संवर साधना बढ़ती है तो आत्मा का दमन हो जाता है। सम्यक् ज्ञानपूर्वक जो संयम और त्याग होता है, तो वह संवर हो जाता है। गृहस्थ अपने जीवन में जितना सावद्य का त्याग-प्रत्याख्यान करता है, वह संवर हो जाता है। आदमी को अपने जीवन में संवर की साधना करने का प्रयास करना चाहिए।
संवर मोक्ष प्राप्ति का मार्ग है। संवर द्वारा आत्मा के भीतर आने वाले आश्रवों को रोका जा सकता है, इसलिए आदमी को संवर की साधना करने का प्रयास करना चाहिए। जो त्याग आदमी ले ले, उसे पालने के लिए मनोबल भी रखने का प्रयास करें। जो प्रण ले लिया तो प्राण की परवाह नहीं करना एक आदर्श हो जाता है और यदि कोई अपने प्रण को पूरा कर नहीं पाता तो वह उसकी कमजोरी होती है। ध्यान देकर त्याग-प्रत्याख्यान आदि की दिशा में आगे बढऩे और अपनी संवर की साधना को पुष्ट बनाए रखने का प्रयास करें। इस मौके पर मुरुगानंदम व आनंदम ने भी विचार व्यक्त किए।
मिनी मैराथन में दौड़े 200 विद्यार्थी
गणतंत्र दिवस की तैयारी के तहत कुन्नूर के निकट स्थित मद्रास रेंजिमेंटल सेंटर (एमआरसी) ने युवाओं को सेना में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। इस दौरान एमआरसी ने महिलाओं एवं विद्यार्थियों के लिए मिनी मैराथन का भी आयोजन किया जिसमें विभिन्न विद्यालयों के लगभग 200 विद्यार्थियों ने भाग लिया। इस दौरान एमएच वेलिंगटन के कमांडेंट ब्रिगेडियर पंकज पी. रावने विजेताओं को सम्मानित कर उनका उत्साह वर्धन किया।