पिछले दिनों एक संगठन पाताली मक्कल काची के कार्यकर्ताओं ने जब रेती से भरे एक ट्रक को रोका तो पुलिस प्रशासन ने उलटे उन्हें ही गिर तार कर लिया। पीएमके ने भी रेती तस्करी का विरोध किया तो पुलिस ने उन्हें भी पकड़ कर झूठे आरोपों में बंद कर दिया। इससे संगठन के कार्यकर्ताआहत थे। वे जनता के सामने ठोस सबूत रखना चाहते थे। इस बार उन्होंने नदी में खुदाई कर रेती ले जा रहे माफिया के कारिन्दों से बातचीत व पूरे घटनाक्रम का वीडियो तैयार कर लिया। हालांकि पुलिस ने सभी आरोपों से इनकार किया है। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि जिसे पीएमके कार्यकर्ता बजरी रेत बता रहे हैं। वह सामान्य मिट्टी है न कि नदी से खोदी गई रेती। एक ट्रक पकड़ा है। रेती की जांच के बाद स्पष्ट हो जाएगा कि यह सामान्य मिट्टी है या भवन निर्माण में काम आने वाली बजरी । जांच में यह सामान्य निकली तो पीएमके कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
संगठन के अशोक श्री निधी ने कहा है कि लोग नदी में आ कर खुद देख ले ,किस तरह रेती के लिए नॉयल का सीना छलनी किया जा रहा है। इस बारे में हमने जब शिकायत की और रेती तस्करों को घेरा तो हमें ही झूठा ठहरा कर गिर तार कर लिया गया।
उल्लेखनीय है कि मरणासन्न नॉयल नदी को पुनर्जीवित करने के लिए करीब दो साल पहले १३ मार्च को शहर के कुछ संगठनों ने अभियान शुरु किया था। समाज सुधारक अन्ना हजारे को बुलवा कर अभियान की शुरुआत उनके हाथों से कराई गई पर इच्छा शक्ति की कमी के कारण नॉयल को उसके हाल पर छोड़ दिया गया