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चेन्नई

अपने घर से करनी होगी पानी की बचत की शुरुआत

अपने घर से करनी होगी पानी की बचत की शुरुआत राजस्थान पत्रिका के महाभियान अमृतं जलम् में बताई पानी की महत्ता

चेन्नईJun 30, 2019 / 06:35 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

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चेन्नई. जल के बिना कुछ नहीं। आज पानी का जो दुरुपयोग किया जा रहा है, उस पर अंकुश की जरूरत है। हमें पानी को बचाने की योजना पर ध्यान देने की जरूरत है। जल संरक्षण के लिए हरेक को आगे आना होगा।
विद्यासागर ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट के निदेशक बृजगोपाल आचार्य ने यह बात कही। वे शुक्रवार को वेलाचेरी स्थित गुरु नानक महाविद्यालय में राजस्थान पत्रिका के महाभियान अमृतं जलम् के तहत बतौर मुख्य वक्ता संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जल बचाएं। बारिश को जल को यदि इकट्ठा किया जाएं तो जल की समस्या का एक बड़ा निदान हो सकता है। राजस्थान सरीखे प्रदेश जिसमें एक बड़ा हिस्सा रेगिस्तान का है। वहां कोई जमाना था जब 20 किमी दूर से पानी लाना पड़ता था। हालांकि आज हालात बदले हैं। लेकिन पानी की समस्या वहां भी है। तकरीबन आज देश के हर हिस्से में पानी का संकट गहराता जा रहा है। हमे सचेत होने की जरूरत है। यदि हालात ऐसे ही रहे तो हमें हमारे बच्चों केे भविष्य के लिए सोचना होगा। न केवल सरकार के भरोसे बल्कि हर एक व्यक्ति को पानी बचाने की मुहिम के लिए आगे आना चाहिए। कहते हैं कि जब तक खुद पर कोई विपदा नहीं आती तब तक हालात का सही पता नहीं चल पाता है। अब ऐसी ही पानी का संकट हमारे सिर पर हैं, तब हमें पानी की वास्तविकता का पता चला है। आज जो ऐसी स्थितियां पानी को लेकर पैदा हुई है, उसके लिए हम खुद ही जिम्मेदार है। हमने पानी को बताया नहीं। पानी को सहेजा नहीं। पानी को व्यर्थ बहाते रहे। हालात यह है कि लोग अपने घरों की सीढिय़ां धोने में ही अंधाधुंध पानी बर्बाद कर देते हैं। इसी तरह कई अन्य कार्यों में पानी की बर्बादी हो रही है। इस पानी के अपव्यय को रोककर भी हम पानी की बचत कर सकते हैं। यानी पानी की बचत की शुरुआत अपने घर से करनी होगी।
महाविद्यालय की हिंदी विभागाध्यक्ष (शिफ्ट-प्रथम) डॉ. स्वाति पालीवाल ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि हम जीवन में छोटी-छोटी अच्छी आदतों के माध्यम से पानी को बचा सकते हैं। पानी की महत्ता को हरेक को समझना जरूरी है। पानी हैं तो जीवन है। पानी को व्यर्थ जाने से बचाएं। वर्षाजल संग्रहण की मदद से हम बारिश के पानी को व्यर्थ जाने से बचा सकते ैहं। पानी की बचत में यह एक बहुत बड़ा कदम हो सकता है। तमिलनाडु समेत कई राज्यों में वर्षा जल संग्रहण पर कार्य हुआ है लेकिन इसे और अधिक विस्तार दिया जाना जरूरी है। महाविद्यालय की हिंदी विभागाध्यक्ष (शिफ्ट-द्वितीय) डॉ. आशा चतुर्वेदी ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि पानी की बूंद-बूंद कीमती है। इसे बचाना जरूरी है। आज पानी को लेकर जो हालात बन रहे हैं वह निश्चित रूप से चिंतनीय है। हमें इस पर सोचना होगा। लोगों को पानी को लेकर जागरूक करने की आवश्यकता है। समारोह का संचालन करते हुए हिंदी एसोसिएशन की उपाध्यक्ष शिक्षिका डॉ. अनिता पाटिल ने कहा कि पानी हमारे लिए बहुत जरूरी है। पानी संचयन की छोटी-छोटी आदतों को हम अपने जीवन का हिस्सा बना लें। जल हैं तो कल है। समारोह के मुख्य वक्ता विद्यासागर शिक्षण समूह के निदेशक बृजगोपाल आचार्य ने जल संरक्षण को लेकर शपथ दिलाई। कार्यक्रम की शुरुआत विनोदनी व श्रीलक्ष्मी ने प्रार्थना के साथ की। राजस्थान पत्रिका चेन्नई के मुख्य उप संपादक अशोकसिंह राजपुरोहित ने राजस्थान पत्रिका के महाभियान अमृतं जलम् के बारे में जानकारी दी।
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जलाशयों की क्षमता बढाएं
सरकार को जलोतों पर विशेष ध्यान देना चाहिए। साथ ही आमजन को भी इसमें सहभागी बनने की जरूरत है। जलाशयों की खुदाई की जानी चाहिए ताकि बारिश के बाद ये लबालभ भर सकें।
-नेहा, छात्रा।
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पानी बचाने में आगे आएं
हर साल बारिश के पानी का बड़ा हिस्सा बहकर समुद्र में चला जाता है। आखिर इसके लिए किसको दोष दें। यदि वर्षाजल संग्रहण के लिए प्रयास किए जाएं तो पानी को सहेज कर रखा जा सकता है।
-विनोदनी, छात्रा।
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अधिकाधिक हो पौधरोपण
आज जिस तरह चारों ओर प्रदूषण गहराता जा रहा है तो ऐसे हालात में अधिकाधिक पौधरोपण की जरूरत महसूस की जा रही है। पौधे होंगे को बारिश में भी मदद मिल सकेगी। हरियाली से जीवन भी स्वच्छ बना रहेगा।
-वेदवल्ली, छात्रा।
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डालें जल बचत की आदत
जल की महत्ता को बचपन से ही समझाएं। जल हमारे लिए अमूल्य हैं। जल हैं तो जीवन है। जल के बिना कुछ नहीं। जिस दिन जल की महत्ता समझ जाएंगे हमारा जीवन भी आसान हो जाएगा।
-श्रीलक्ष्मी, छात्रा।
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जलोंतों पर बन गई बिल्डिगें
आज जलोतों पर अतिक्रमण हो चुके हैं। जल के ोत सूख चुके हैं। उन पर आलीशन भवन निर्मित हो चुके हैं। अब जल के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। हमने खुद ही जलस्त्रोत मिटा दिए हैं। यह हमारे लिए चिंतनीय है।
-दिनेश, छात्र।
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करें जल का सदुपयोग
हम आज ही ठान लें कि हम जल को व्यर्थ नहीं बहाएंगे। जल की एक-एक बूंद को बचाएंगे। औरों को भी जल की बचत के लिए प्रेरित करें। जल के प्रति जागरुकता से ही जल को बचा सकते हैं।
-अमृत, छात्र।
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धट रहा भूजल स्तर
लगातार हमारा भूजल स्तर कम हो जाता है। यह हमारे लिए अत्यंत चिंतनीय है। यदि हमने जल को बचाने की दिशा में कोई सार्थक कदम नहीं उठाए तो भविष्य में और भी हालात विकट हो सकते हैं। ऐसी योजनाओं को आगे बढाएं जिससे जल बचा रह सकें।
-अनिरुद्ध, छात्र।
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दुरुपयोग से बचें
हमे पानी के दुरुपयोग से बचना चाहिए। हम घर, दफ्तर या अन्य स्थलों पर भी पानी का दुरुपयोग रोककर पानी की बचत में सहभागी बन सकते हैं। जितनी जरूरत हो उतना ही पानी उपयोग में लें।
-प्रकाश, छात्र।
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