scriptसुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला- 31 साल बाद राजीव गांधी हत्याकांड के दोषी पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश | SC Orders Release Of Rajiv Gandhi Assassination Convict AG Perarivalan | Patrika News

सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला- 31 साल बाद राजीव गांधी हत्याकांड के दोषी पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश

locationचेन्नईPublished: May 18, 2022 04:50:55 pm

Submitted by:

PURUSHOTTAM REDDY

साल 2018 में तमिलनाडु सरकार ने उन्हें रिहा करने की सिफारिश की थी। इसके बाद ये मामला कानूनी पेंच में फंस गया था। पेरारिवलन ने मानवीयता के आधार पर छोडऩ की अर्जी लगाई थी।

SC Orders Release Of Rajiv Gandhi Assassination Convict AG Perarivalan

SC Orders Release Of Rajiv Gandhi Assassination Convict AG Perarivalan

चेन्नई.

राजीव गांधी हत्याकांड के दोषी एजी पेरारिवलन की 31 साल से अधिक पुरानी कैद को समाप्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को जेल में उनके अच्छे आचरण, चिकित्सा स्थिति, शैक्षिक योग्यता को देखते हुए उन्हें रिहा करने का निर्देश दिया। जेल में बंद पेरारिवलन की दया याचिका दिसम्बर 2015 से लंबित है। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्याकांड को 21 मई को 31 साल हो जाएंगे। साल 2018 में तमिलनाडु सरकार ने उन्हें रिहा करने की सिफारिश की थी। इसके बाद ये मामला कानूनी पेंच में फंस गया था। पेरारिवलन ने मानवीयता के आधार पर छोडऩ की अर्जी लगाई थी।

अनुच्छेद 142 के तहत हुई रिहाई
जस्टिस एल नागेश्वर राव और बीआर गवई की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा, जेल में उनके संतोषजनक आचरण, मेडिकल रिकॉर्ड, जेल में हासिल की गई शैक्षणिक योग्यता और दिसम्बर 2015 से तमिलनाडु के राज्यपाल के समक्ष अनुच्छेद 161 के तहत दायर उनकी दया याचिका की लंबित होने के कारण शक्तियों का प्रयोग करते हुए अनुच्छेद 142 के तहत हम याचिकाकर्ता को मुक्त होने का निर्देश देते हैं।

कोर्ट ने आगे कहा कि पिछले साल 25 जनवरी को पेरारिवलन की दया याचिका को राष्ट्रपति के पास भेजने के राज्यपाल के फैसले का कोई संवैधानिक समर्थन नहीं था। पीठ ने कहा, राज्यपाल राज्य मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह से बंधे हैं। उन्होंने कहा, मारु राम मामले (1980) में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार राष्ट्रपति को याचिका सौंपने के फैसले का कोई संवैधानिक समर्थन नहीं है, जिसमें राज्यपाल ने कहा था कि राज्यपाल राज्य मंत्रिमंडल की सहायता और सलाह का पालन करना होगा और यदि वह निर्णय के लिए सहमत नहीं है, तो राज्यपाल को मामले को पुनर्विचार के लिए राज्य को वापस भेजना होगा।

पेरारिवलन को जून 1991 में गिरफ्तार किया गया था। इस साल 9 मार्च को शीर्ष अदालत ने जमानत पर रिहा कर दिया था। पेरारिवलन के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने तर्क दिया था कि दया याचिका संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत दायर की गई थी, जो क्षमादान देने की राज्यपाल की शक्ति से संबंधित है। उन्होंने अपनी दलील में कहा कि अगर इस तरह के तर्क को स्वीकार किया जाना है तो यह राज्यपाल द्वारा अतीत में दिए गए क्षमा के सभी फैसलों पर सवाल उठने लगेंगे। पेरारिवलन ने 30 दिसम्बर, 2015 को तमिलनाडु के राज्यपाल के समक्ष दया याचिका दायर की थी और उन्होंने कहा कि पांच साल तक राज्यपाल ने ऐसी कोई आपत्ति नहीं जताई। उन्होंने अपनी क्षमादान पर फैसला करने में देरी को लेकर 2016 में शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था।

क्या हुआ था 1991 में
बता दें कि राजीव गांधी की चेन्नई के पास श्रीपेरुम्बदूर में एक चुनावी अभियान रैली के दौरान हुए बम विस्फोट में जान चली गई थी। विस्फोट के सटीक विवरण आज तक अस्पष्ट हैं। हालांकि जांच में यही सामने आया कि ब्लास्ट उस समय हुआ, जब राजीव गांधी मंच पर जा रहे थे और रास्ते में शुभचिंतकों और समर्थकों से मिल रहे थे।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो