अप्सरा के पिता के. शशिकुमार ने बताया ‘हमारे घर में कोई भी हिंदी नहीं बोलता या समझता भी नहीं है। मैंने अप्सरा को तिरुचि में दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा में भर्ती कराया क्योंकि उसकी हिन्दी सीखने में रुचि थी। अप्सरा ने प्रवीण व उत्तराद्र्ध (हिंदी में ग्रेड 8) की परीक्षा पास की। फिर अव्वैयार अव्वैयार की आत्तीचूड़ी और कोंड्रैवेंदन का हिंदी में अनुवाद करने की कोशिश शुरू कर दी।’
पिता से मिला हौसला
स्कूल अध्यापक शशिकुमार ने अपनी बेटी को उसकी छोटी उम्र से ही तमिल से हिंदी में अनुवाद कार्यों के लिए प्रोत्साहित किया। 12वीं पास अप्सरा ने 2020 में आत्तीचूड़ी और कोंड्रैवेंदन का अनुवाद शुरू किया। उस वक्त अप्सरा ग्यारहवीं की छात्रा थी। शुरुआती कार्य की तत्कालीन कलक्टर एस. शिवरासु ने भी प्रशंसा की थी। उन्होंने अनूदित प्रति मुख्य सचिव वी. इरैअन्बू को भी भेजी। मुख्य सचिव से अप्रेल महीने में अभिनंदन पत्र मिला जिससे अप्सरा की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसके बाद उन्होंने राज्यपाल को डाक से प्रति भेजी। राजभवन से उसका जवाब भी आया। राजभवन से निमंत्रण भी आया कि राज्यपाल अप्सरा से निजी रूप से मिलना चाहते हैं।
अप्सरा ने आत्तीचूड़ी की सभी 109 उक्तियां और कोंड्रैवेंदन के 91 पदों का हिंदी में अनुवाद किया है। पिता शशिकुमार ने भी उनकी उक्तियों को समझने में मदद की जिन्होंने इनका अंग्रेजी अनुवाद किया।
अविस्मरणीय भेंट : यह वास्तव में एक अविस्मरणीय भेंट रही। राज्यपाल बहुत नेक दिल हैं। उन्होंने मेरे कार्य की सराहना की और मुझे ऐसे काम जारी रखने की सलाह दी। – अनुवादक छात्रा अप्सरा