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चेन्नई

लगातार बढ़ रहा हिंदी का दायरा

– महर्षि अंतरराष्ट्रीय आवासीय विद्यालय में हिंदी पखवाड़ा का समापन समारोह
-पूजा पाराशर को राष्ट्रीय लेखन प्रतियोगिता में विशिष्ट पुरस्कार

चेन्नईSep 28, 2018 / 12:35 pm

PURUSHOTTAM REDDY

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लगातार बढ़ रहा हिंदी का दायरा

चेन्नई. हिंदी ने आज अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहचान बनाई है। विश्व भाषा के रूप में हिंदी का क्षेत्र बढ़ा हैं। विश्व के कई देशों में हिंदी बोलने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। हिंदी देश को एकता के सूत्र में बांधने वाली भाषा है।
दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के उच्च शिक्षा एवं शोध संस्थान के कुलसचिव डॉ. प्रदीप के. शर्मा ने यह बात कही। वे गुरुवार को महर्षि अंतरराष्ट्रीय आवासीय विद्यालय में हिंदी पखवाड़ा के समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।
विद्यालय के गुरुदेव हिंदी एवं संस्कृत साहित्य मंडली के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि ने कहा कि साहित्य को आगे बढ़ाने में हिंदी का बहुत बड़ा योगदान है। उसी प्रकार हिंदी को आगे बढ़ाने में पुस्तकों का भी विशेष योगदान रहा है। हिंदी सबसे अमीर एवं समृद्ध भाषाओं में से एक हैं। हिंदी का स्थान कोई दूसरी भाषा नहीं ले सकती। हिंदी हमारी अस्मिता एवं पहचान की भाषा है। हिंदी दुनिया की सबसे वैज्ञानिक भाषा है। कुलसचिव ने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे लगन, निष्ठा व मेहनत के साथ लक्ष्य की प्राप्ति में जुट जाएं, जरूर सफलता मिलेगी। हम लगातार निरन्तर अपने कर्म करते रहें।
विद्यालय के उप प्राचार्य बी.एन. ईश्वर ने मुख्य अतिथि का परिचय दिया एवं शॉल व माला से उनका सम्मान किया। वरिष्ठ हिंदी अध्यापक सुभाष जैन ने स्वागत भाषण दिया। इस अवसर पर विद्यार्थियों ने कविता, गायन, नाटक, भाषण समेत अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी। हिंदी शिक्षक नाभिराजन जैन ने धन्यवाद ज्ञापित किया। छात्राध्यक्ष मनीषसिंह ने कार्यक्रम का संचालन किया।
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पूजा पाराशर को राष्ट्रीय लेखन प्रतियोगिता में विशिष्ट पुरस्कार
चेन्नई. सुजाता वर्मा स्मृति समिति के तत्वावधान में आयोजित द्वितीय राष्ट्रीय लेखन प्रतियोगिता में चेन्नई की पूजा पाराशर को विशिष्ट पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। स्वच्छ भारत : सामूहिक उत्तरदायित्व (सरकार, मीडिया और हम) विषय पर आयोजित इस प्रतियोगिता में पाराशर को डॉ. सुजाता वर्मा स्मृति समिति स्वर्ण पदक से भी नवाजा गया। भाभा एटोमिक रिसर्च सेन्टर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. बी.के. सपरा ने उन्हें यह अवार्ड प्रदान किया।
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