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चेन्नई

किसी भी पार्टी में आंतरिक स्वतंत्रता नहीं होना ही भ्रष्ट तंत्र का बीज : जी. विश्वनाथन

– वीआईटी संस्थापक कुलपति जी. विश्वनाथन से विशेष बातचीत

चेन्नईMar 26, 2019 / 02:04 pm

Ritesh Ranjan

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किसी भी पार्टी में आंतरिक स्वतंत्रता नहीं होना ही भ्रष्ट तंत्र का बीज : जी. विश्वनाथन

चेन्नई. देश और व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार को तब तक खत्म नहीं किया जा सकता जब तक हम स्वयं भ्रष्टाचार को लेकर संवेदनशील न हों। यह जिम्मेदारी आप और हम दोनों की है कि भ्रष्टाचार और भ्रष्ट व्यक्ति का बहिष्कार करें ताकि उस व्यक्ति को यह अहसास हो कि वह जो कर रहा है वह गलत है। वर्तमान में देश में करीब २००० राजनीतिक पार्टियां हैं, केवल तमिलनाडु में ही ५०० से अधिक पार्टियां हैं लेकिन कोई भी पार्टी ऐसी नहीं जिसमें आंतरिक स्वतंत्रता हो। किसी पार्टी में परिवार का वर्चस्व है तो किसी में व्यक्ति विशेष को प्रमुखता दी जाती है। व्यक्तित्व व विचारधारा की महत्ता का स्थान सबसे निचले स्तर पर आता है। वीआईटी संस्थापक कुलपति जी. विश्वनाथन ने पत्रिका के साथ मौजूदा राजनीतिक संस्कृति पर विचार बांटे। प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश :
प्रश्न: पहले और आज की राजनीति में क्या अंतर है?
विश्वनाथन : जाति के आधार पर मतदान और रुपए के दम पर मत लेना, यही बदलाव आया है राजनीति में। मुझे राजनीति में अण्णा लेकर आए थे और कलैंजर करुणानिधि से मेरी पहले से काफी बनती थी। उस वक्त जनसेवा के लिए पैसे नहीं भाव की प्रमुखता थी। मुझमें वह भाव था इसलिए मुझे पार्टी का प्रतिनिधित्व करने के लिए टिकट देकर लोकसभा में भेजा गया। आज पैसे वाले को ही टिकट मिलता है। गरीब व्यक्ति तो किसी पार्टी का टिकट ले ही नहीं सकता।
प्रश्न : आज राजनीति में किस चीज का अभाव है?
विश्वनाथन: आज मुद्दों की नहीं पैसे की राजनीति है। देश में हर चुनाव में गरीबों, असहायों, कमजोर, बेरोजगार युवाओं की मदद के नाम पर कई राजनीतिक पार्टियां अस्तित्व में आती हैं जो चुनाव खत्म होते ही गायब हो जाती हैं। जहां राजनीति का उद्देश्य जनसेवा, समाज व राष्ट्रोत्थान नहीं बल्कि स्वयं व अपनों तक सिमट गया है।
प्रश्न : राजनीति से संन्यास लेने का कारण?
विश्वनाथन: तमिलनाडु की राजनीति में पैसे व जातिवाद के बढ़ते प्रभाव और राजनीति का मकसद जनसेवा नहीं स्वयंसेवा को देख मैंने राजनीति से संन्यास लेने का निश्चय किया। अण्णा के निधन के बाद डीएमके में व्यक्तिवाद बढ़ा गया तो एमजीआर के जाते ही एआईएडीएमके में भी वैसी ही स्थिति पैदा होने लगी जिसके कारण मेरा सक्रिय राजनीति से मन उचट गया। इसके बाद मैंने शिक्षण संस्थान खोलकर देशभर के लोगों की सेवा करने की योजना बनाई।
प्रश्न: करुणानिधि और जयललिता के निधन के बाद अब कौन बन सकता है तमिलनाडु का चेहरा?
विश्वनाथन: करुणानिधि और जयललिता दोनों ऐसी शख्सियत थे जो तमिलनाडु से केंद्रीय राजनीति को प्रभावित करते थे। लेकिन अब अभी ऐसा कोई व्यक्ति नहीं जो यह क्षमता रखता हो। हां, हो सकता है इस लोकसभा चुनाव और अगले विधानसभा चुनाव के बाद कोई व्यक्ति उभरकर आ जाए।
प्रश्न : मुफ्त बीज और पैसा तमिलनाडु के चुनाव को प्रभावित कर रहा है, इसका मूल कारण और उपाय क्या है?
विश्वनाथन: हर बात में शोषण और व्यवस्था को दोष देना सही नहीं होता। कई बार हम भी दोषी होते हैं। जनता को अल्पकालिक सुख के बजाय दीर्घावधि, सतत एवं स्थाई विकास को प्रमुखता देनी चाहिए। तमिलनाडु सरकार द्वारा बीपीएल को दो हजार रुपए विशेष सहायता राशि और केंद्र को किसान सम्मान निधि योजना के बजाय उनकी मूल समस्या के निराकरण पर जोर देना चाहिए और केंद्र सरकार को किसानों को यह छोटी राशि नहीं खाद-बीज एवं फसल बिक्री तक विशेष ध्यान देना चाहिए।
प्रश्न : देश में युवा शिक्षा और बेरोजगारी की समस्या का समाधान क्या है?
विश्वनाथन: जरूरत से ज्यादा नियंत्रण भी भ्रष्टाचार को जन्म देता है। देश में बेहतर शिक्षा व्यवस्था के लिए जरूरी है अलग-अलग नियामक संस्थाओं के बजाय एक नियामक संस्था हो। नियामक संस्थाओं को स्वायतता दी जाय पर जवाबदेही के साथ ताकि भ्रष्ट तंत्र पनपने की गुंजाइश न हो। अमेरिका की तर्ज पर सरकार नियामक संस्थाओं का गठन कर उनको स्वतंत्र रूप से काम करने के लिए छोड़ दे, उनमें सरकार का कोई दखल न हो। देश में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को स्वीकृति, अनापत्ति प्रमाणपत्र और मान्यता ने खराब कर रखा है। किसी भी विकसित देश में शिक्षा के लिए ऐसी व्यवस्था नहीं है। एक आंकड़े के मुताबिक देश में केवल मेडिकल कोर्स में दाखिले के लिए हर साल १३ लाख विद्यार्थी तैयार होते हैं पर उनमें से केवल ६०-७० हजार विद्यार्थियों को ही सीट मिल पाती है। नीट परीक्षा की अनिवार्यता इस भीड़ की छंटनी के लिए की गई है। देश में बेहतर शिक्षा के लिए नए शिक्षण संस्थान खोले जाएं और उच्च शिक्षा के लिए कॉलेजों में सीटें बढें़ं तथा १२वीं तक की शिक्षा मुफ्त हो। देश में आयात के बजाय देश में ही उत्पादन पर ध्यान दिया जाए तो बेरोजगारी समस्या नहीं रहेगी। हमें कोशिश करनी चाहिए कि हम उन चीजों का निर्माण अपने देश में करें जिससे बेरोजगारी की समस्या का स्थाई समाधान निकलेगा। इस मामले में हमें चीन से सीख लेनी चाहिए।
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विश्वनाथन की जीवनी : एक नजर
वेलूर जिले के छोटे से गांव कोथाकुप्पम में ८ दिसम्बर १९३८ को जन्मे जी. विश्वनाथन वकील बनना चाहते थे लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री अण्णादुरै के कहने से सक्रिय राजनीति में आए और लोकसभा व तमिलनाडु विधानसभा में सेवाएं दी। १९९६ में राजनीति से संन्यास ले लिया।
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