वैज्ञानिक (ई) डॉ. बी. अमुधा ने समारोह की अध्यक्षता की। उन्होंने सेमिनार का उद्घाटन किया। दक्षिण रेलवे के उप प्रबंधक (राजभाषा) डॉ. दीनानाथसिंह ने कहा कि वह पहली बार इस तरह की संगोष्ठी देख रहे हैं जिसमें कॉलेज के छात्रों को हिंदी में मौसम विज्ञान पर बात करने के लिए आमंत्रित किया गया है। हिंदी एक लिंक भाषा है और हर एक को यह भाषा सीखनी चाहिए।
क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केन्द्र चेन्नई के मौसम विज्ञानी एवं हिंदी समन्वय अधिकारी डॉ. के.वी. बालासुब्रह्मण्यन ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि प्रादेशिक मौसम केन्द्र चेन्नई के गठन का यह 75वां वर्ष है और यह सेमिनार प्रादेशिक मौसम केंद्र चेन्नई के 75 वें वर्ष के गठन के हिस्से के रूप में आयोजित किया जा रहा है। पुणे के वैज्ञानिक (एफ) डॉ. एस. बालचन्द्रन ने इस तरह की संगष्ठी के आयोजन का सुझाव दिया।
क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केन्द्र चेन्नई के मौसम विज्ञानी एवं हिंदी समन्वय अधिकारी डॉ. के.वी. बालासुब्रह्मण्यन की लिखी आपदा न्यूनीकरण में भारत मौसम विभाग की भूमिका नामक पुस्तक का समारोह के दौरान विमोचन भी किया गया। समारोह की शुरुआत मौसम विज्ञानी आर. रुक्मणी के प्रार्थना गीत से हुई। इस मौके पर दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के डॉ. के. मुरली, साहित्यकार रमेश गुप्त नीरद, सहायक प्रोफेसर डॉ. सुनीता जाजोदिया, वरिष्ठ हिंदी शिक्षक उषा शशिधरन समेत अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।
इस दौरान विभिन्न तकनीकी सत्रों का आयोजन भी किया गया जिसमें मौसम वैज्ञानिकों ने विभिन्न जानकारियां दी। सेमिनार में भक्तवत्सलम मेमोरियल महिला कॉलेज कोरट्टूर, भारती महिला कॉलेज, चेवालियर थॉमस टी एलिजाबेथ कॉलेज पेरम्बूर, गुरु श्री शांतिविजय जैन महाविद्यालय वेपेरी, एत्तिराज कॉलेज, मद्रास विश्वविद्यालय, महिला किश्चयन कॉलेज समेत अन्य महाविद्यालयों के विद्यार्थी शामिल हुए।