अधिकांश कच्ची बस्तियां तो ऐसी हैं जिनको मकान तो अलॉट हो गए लेकिन वे सुविधाओं के लिए वर्षों से तरस रही हैं। यही कारण है कि वे अपना मकान होने के बावजूद उसे विकसित नहीं कर सकते क्योंकि जब तक पट्टा नहीं मिलता बैंक ऋण नहीं देते।
ऐसी ही कॉलोनियों में से एक है बालाजी नगर कच्ची बस्ती। मडिपाक्कम में रामनगर के दक्षिणी एवं पल्लीकरणै के पश्चिमी हिस्से में बसी इस कॉलोनी के लोगों को सरकार ने २५ साल पहले मकान अलॉट किए थे और इसमें मंदैवेली, नुंगम्बाक्कम, मईलापुर व पूंडोतन के करीब ३५०० झोपड़वासियों को बसाया था जिनमें करीब १५००० लोगों का निवास है।
इतने साल बीत जाने के बावजूद इस कॉलोनी के लोग सुविधाओं को तरस रहे हैं। हालांकि यहां के लोगों के पास आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर आईडी, राशन कार्ड एवं पासपोर्ट सभी प्रूफ उपलब्ध हैं एवं हर घर में बिजली का कनेक्शन भी है लेकिन यदि नहीं है तो वह है मकान का पट्टा जिसके लिए हर सरकार २५ साल से केवल आश्वासन के कुछ नहीं दिया। लोग पट्टे के लिए मिन्नत करते-करते थक गए लेकिन नेताओं के आश्वासन के सिवाय उनको कुछ भी नहीं मिला।
खेल का मैदान व स्कूल नहीं
बालाजी नगर कच्ची बस्ती में हर गली में पानी के केवल पांच मेट्रो वाटर के नल लगे हैं जिनसे पूरी गली के लोग पानी भरते हैं। हालांकि अक्टूबर से फरवरी तक तो इनमें पानी पूरे दिन आता है लेकिन गर्मी का मौसम शुरू होते ही नल सूख जाते हंै और उनमें सप्ताह में एक बार पानी आना शुरू हो जाता है। ऐसे में लोग टैंकर से पानी मंगवाकर जीवन बसर करते हैं। पूरी कॉलोनी में केवल दो शौचालय हैं जिससे लोगों को भारी परेशानी भोगनी पड़ रही है। कॉलोनी में जल निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है बारिश में चारों ओर पानी भर जाता है जो कई दिन तक नहीं सूखता।
बच्चों को पढऩे के लिए पल्लीकरणै के पीछे स्थित मइलै बालाजी नगर स्थित पंचायत यूनियन मिडिल स्कूल जाना पड़ता है जो करीब एक किलोमीटर दूरी पर है। बच्चों के खेलने के लिए यहां कोई खेल मैदान नहीं है और न ही कोई प्राथमिक अस्पताल। किसी के बीमार होने पर लोगों को पल्लीकरणै स्थित निजी अस्पताल में जाना होता है।