दक्षिण् रेलवे को 473 से ज्यादा कोच को आइसोलेशन वार्ड में बदलने कहा गया है। तिरुचि और चेन्नई के सवारी डिब्बा कारखाना में कोच आइसोलेशन वार्ड में बदलने का काम शुरू हो गया। हैं। अब समस्या यह है कि इसके लिए सिर्फ उन कोचों का ही उपयोग करना है, जो 15 से 20 साल पुराने हो गए हैं। अब इतने पुराने कोच या तो खराब हो चुके हैं या फिर कबाड़ हो चुके हैं। ऐसे कोच की पहचान करने के लिए मंडल स्तर पर टीम गठित की गई है।
20 साल पुराने कोच को दें प्राथमिकता :
रेलवे बोर्ड ने पमरे समेत सभी रेल जोन से कहा है कि वह आइसोलेशन वार्ड के लिए 20 साल से ज्यादा पुराने हो चुके कोच को ही प्राथमिकता दें। यदि इनकी संख्या कम है तो ही 15 साल से ज्यादा पुराने कोचों को आइसोलेशन वार्ड में बदलें। इतना ही नहीं इनमें एसी की बजाए स्लीपर और जनरल कोच का उपयोग करें।
ऐसे बनाए जाएंगे वार्ड
कोच के कंपार्टमेंट में मिडल बर्थ को हटाकर लोअर बर्थ को आइसोलेशन में बदला जाएगा। इसमें तमाम मेडिकल उपकरण इंस्टाल किए जाएंगे। पहले कोच में स्पेस मेंटेन किया जाएगा, ताकि मरीजों को लाने और डॉक्टरों के आने की जगह रहे।
आपातकालीन व्यवस्था
कोरोना महामारी से लडऩे के लिए सभी राज्य अपने-अपने तरीके से अस्पतालों की व्यवस्था कर रहे हैं। रोज कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। मरीजों की तेजी से बढ़ती संख्या को देखते हुए आपातकालीन व्यवस्थाएं की जा रही हैं। इसी के तहत ट्रेन के कोचों को वाडज़् में तब्दील किया जा रहा है, ताकि तत्काल इलाज मिल सके।
उपयोग के बाद नष्ट किए जाएंगे कोच
रेलवे जिन कोच को आइसोलेशन वार्ड में बदल रहा है, उनमें कोरोना वायरस के मरीजों को भर्ती करने और उनका इलाज किया जाएगा। इन कोच का उपयोग करने के बाद रेलवे इन्हें दोबारा ट्रेनों के रैक में उपयोग नहीं करेगा। इन्हें पूरी तरह से नष्ट कर दिया जाएगा, ताकि किसी तरह का संक्रमण न फैले। यही वजह है कि जोन और मंडल के अधिकारियों से रेलवे बोर्ड ने कहा है कि वह आइसोलेशन वार्ड के लिए 20 साल से पुराने कोचों का ही उपयोग करें, यदि न मिलें, तब ही 15 साल पुराने हो चुके कोच का उपयोग करें।