राज्य में सरकार के उलट पलट का इतिहास है। एक कार्यकाल में एक पार्टी और अगले कार्यकाल में दूसरी पार्टी। जयललिता और करुणा के निधन के बाद जनता को एक जन नेता के लिए संघर्ष कर रही थी। जयललिता अपनी पार्टी का चेहरा थी। इसलिए जनता ने स्टालिन को चुना क्योंकि उसके पास एक मजबूत राजीनितक पृष्ठभूमि और अनुभव है। यही केंद्र पर भी लागू होता है। जनता राहुल को भारत के प्रधानमंत्री के रूप में कल्पना नहीं कर सकते। उनके पास नेतृत्व गुणो की कमीं है। अगर एनडीए को एक और मौका दिया जाए तो महत्वपूर्ण योजनाओं पर काम जारी रहेगा। इस सकारात्मक आशा पर लोगों ने मोदीजी को चुना है।
सुलभ, मोग्गापेयर
राज्य के लोग वर्तमान सरकार से खुश नहीं हैं, इसलिए उन्होंने डीएमके को विकल्प चुना है। राज्य में बीजेपी का प्रभाव नहीं दिख रहा। जयललिता की अनुपस्थिति एआईएडीएमके के लिए घातक रही है।
मंजु, नोलाम्बुर
राज्य में बीजेपी का कोई बेस नहीं है। इसलिए एआईएडीएमके को भी जनता ने कोई भाव नहीं दिया। एआईएडीएमके के पास एमजीआर और जयललिता दो ही चेहरे थे। वर्तमान नेता की ढुलमुल नीति के कारण उन पर जनता को भरोसा नहीं। स्टालिन ने अपने पिता के साथ मिलकर काम किया है। पर यहां हुए विधानसभा की सीटों के परिणाम ही तय करेंगे कि राज्य का आगे का क्या होगा। सुमन सप्रू, मोग्गापेयर वेस्ट
हमारा राज्य अद्वितीय है। हम पेरियार सिद्धांतों का पालन करते हैं। धर्म के नाम पर हमें बांटने वाले को हम स्वीकार नहीं करेंगे। हम विविधता में एकता में विश्वास करते हैं।
्रएआईएडीएमके को चुनने का प्रश्र ही नहीं है। ्रएआईएडीएमके, केंद्र की कठपुतली है। रेवती , कोयम्बतूर