तमिलनाडु सरकार ने पहले ही कहा था कि पिछले 15 साल से मरीना बीच पर कोई प्रदर्शन नहीं हुआ और पुलिस के मुताबिक भी एक दशक से ज्यादा समय से वहां ऐसे किसी आयोजन पर पूरी तरह से प्रतिबंध है। कोर्ट ने भी सरकार के इस फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि बीच पर कोई विरोध-प्रदर्शन नहीं होगा।
इससे पहले भी कोर्ट ने कहा था कि अनुमति देने या इस पर रोक लगाने का अधिकार भी सरकार के ही पास है। अब चेन्नई मरीना बीच पर जल्लीकट्टू जैसा कोई विरोध प्रदर्शन देखने को नहीं मिलेगा। मद्रास हाईकोर्ट के न्यायाधीश केके शशिधरन और न्यायाधीश आर. सुब्रमण्यम की खंडपीठ ने सोमवार को राज्य सरकार द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए एकल बेंच के फैसले को दरकिनार करते हुए प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगा दिया।
गौरतलब है कि किसान नेता अय्याकन्नू ने अप्रैल में कावेरी मैनेजमेंट बोर्ड के गठन की मांग को लेकर मरीना बीच पर प्रदर्शन की अनुमति मांगी थी जिस पर एकल बेंच ने पुलिस आयुक्त को निर्देश दिया था कि वे प्रदर्शन के लिए अनुमति दें। हालांकि राज्य सरकार ने इस आदेश के खिलाफ विरोध दर्ज किया था लेकिन जज ने इसे खारिज कर दिया। किसान 90 दिन की भूख हड़ताल की योजना बना रहे थे, लेकिन कोर्ट ने एक दिन के प्रदर्शन की ही अनुमति दी थी। उसके बाद राज्य सरकार ने इस आदेश पर रोक लगाने के लिए एक याचिका लगाई। मामले पर डिवीजन बेंच ने पहले तो इस आदेश पर अस्थाई रोक लगाई थी, पर सोमवार की सुनवाई में उस पर स्थाई रूप से प्रतिबंध लगा दिया।