दरअसल, थोट्टियम गांव के रहने वाले कोलंजीअप्पन (56) को तेज बुखार और ब्लड प्रेशर शिकातय के बाद सोमवार शाम को अस्पताल में भर्ती कराया गया। कोरोना जांच के लिए उनके नमूने लिए गए। रात को रिपोर्ट आई जिसमें रिपोर्ट निगेटिव था, लेकिन देर रात अस्पताल प्रशासन ने कोलंजीअप्पन के परिजनों को उसकी मौत की सूचना दी। कोरोना निगेटिव रिपोर्ट आने के बावजूद शव को पूरी तरह से पैक करने के बाद एम्बुलेंस से शव भेजा गया।
मंगलवार सुबह कोंलजीअप्पन के परिजन अंतिम संस्कार करने से पहले एम्बुलेंस कर्मियों के जाने के बाद उसका चेहरा देखने के लिए पैकिंग हटाया तो दंग रह गए। शव किसी ओर का था। उन्होंने तुरंत अस्पताल प्रशासन को सूचित किया। सूत्रों के अनुसार शव तिरूकोइलूर के संत्तैपेट्टै गांव निवासी बालर (52) है। बालर को भी सोमवार शाम को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया था और रात को उसकी भी मौत हो गई थी।
नर्सो की लापरवाही
दरअसल, कोलंजीअप्पन के करीबी रिश्तेदार पेशे से नर्स ने अस्पताल के नर्सो से उसकी तबियत के बारे में पूछा। ड्यूटी कर रही नर्सो ने बालर के बजाय कोलंजीअप्पन की मौत होने की सूचना दे दी। उसके बाद नर्स अस्पताल पहुंचकर कोलंजीअप्पन का चेहरा देखे बिना अस्पताल से शव ले जाने की प्रकिया पूरी की और शव को एम्बुलेंस से घर भिजवाया, जबकि वह शव बालर का था। अस्पताल में इलाज करा रहे कोलंजीअप्पन ने अपने परिजनों से फोन पर बात की, जिसके बाद उन्हें यकीन हो गया कि कोलंजीअप्पन जिंदा है और अस्पताल में भर्ती है।
जीवित व्यक्ति को मृत बताकर शव उसके परिजनों को भिजवाने के मामले में अस्पताल प्रशासन ने डॉक्टर और नर्सो से विभागीय कार्रवाई से पहले जवाब मांगा है। मामले प्रकाश में आने के बाद स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों ने अस्पताल का दौरा किया और मामले की जानकारी ली।