कंपनी इस काम के लिए बिना किसी उपयुक्त दस्तावेज के टांजेडको से बहुत अधिक रुपए वसूल रही है।
गौरतलब है कि इस कंपनी को टांजेडको की तरफ से यह कांट्रेक्ट १ फरवरी २००१ को पांच महीने के लिए दिया गया था जिसे बाद में समय-समय पर बढ़ाया गया।
वर्ष २०११-१६ के दौरान कंपनी ने वाइजेग पोर्ट को अनलोडिंग के लिए जहां २३९.५६ करोड़ रुपए का भुगतान किया वहीं इसकी एवज में कंपनी ने टांजेडको से १२६७.६१ करोड़ प्राप्त किए वह भी बिना किसी दस्तावेज के। जयराम ने बताया कि उन्होंने इस संबंध में जानकारी आरटीआई और कुछ अपने सूत्रों से प्राप्त की है। उनका कहना था कि इस पूरी धांधली में डीएमके और एआईएडीएमके सरकार दोनों का हाथ है।
साउथ इंडिया कारपोरेशन लिमिटेड को यह कांट्रेक्ट पहले एआईएडीएमके के शासनकाल वर्ष २००१ में मिला जिसे अगली सरकार ने भी जारी रखा। इस बारे में सीएजी ने भी अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया है पर सरकार की ओर से इस मुद्दे पर कोई कार्रवाई अब तक नहीं की गई।
कैग ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि इस पूरे घटनाक्रम से राजकोष को १०२८ करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। जयराम ने बताया कि इस मामले में वर्ष २००१ से जांच की जाए तो एक अनुमान के मुताबिक राजकोष को २५०० करोड़ रुपए से भी ज्यादा का नुकसान हुआ होगा। उन्होंने खुलासा किया कि इस मामले में वेस्टर्न एजेंसी प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी जो साउथ इंडिया कारपोरेशन लिमिटेड की ही सब कांट्रेक्ट कंपनी है ने कोर्ट में याचिका लगाकर टांजेडको द्वारा अनलोडिंग के लिए कोई नया टेंडर जारी करने पर स्टे ले लिया जबकि इस स्टे को हटाने के लिए टांजेडको की ओर से कोई प्रयास नहीं किया गया। इससे यह साफ होता है
कि टांजेडको और साउथ इंडिया कारपोरेशन के बीच मिलीभगत है।
इस मामले में उन्होंने राज्य के ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव विक्रम कपूर से मिलकर जानकारी दी है उन्होंने इस संबंध में उचित कार्रवाई का भरोसा दिलाया है। जयराम का कहना था कि इस मुलाकात को दो महीने होने को हैं अगर इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई तो इसके लिए कोर्ट में याचिका दायर की जाएगी।