चेन्नई एक सरकारी स्कूल शिक्षक 35 वर्षीय सुरेश (बदला हुआ नाम) अक्सर दिनभर स्कूल के काम के बाद थके-हारे घर पहुंचते है लेकिन उन्हें उनके काम से संतुष्ट नहीं है, उन्हें उनके काम में कमी खलती है क्योंकि वह शायद ही कभी अपने छात्रों के साथ क्वालिटी टाइम बिता पाते है। कारण विभागीय जिम्मेवारियों के बोझ तले शिक्षक दबे जा रहे हैं। सरकारी स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ शिक्षकों को 40 तरह की पंजी भी रोजाना अपडेट करनी है। नतीजतन, बच्चों को न तो सही तरीके से शिक्षा मिल पा रही है और न ही विभागीय काम ही पूरा हो रहा है। यह व्यवहार चेन्नई ही नहीं किन्तु तमिलनाडु के सभी सरकारी स्कूलों में व्यापक रूप से प्रचलित है, जहां शिक्षकों से नियमित रूप से गैर-शिक्षण कार्य कराए जाते है।
तीन लाख शिक्षक काम कर रहे
अभी फिलहाल तमिलनाडु में सरकारी प्राथमिक, मध्य, उच्च और उच्चतम माध्यमिक विद्यालयों में लगभग तीन लाख शिक्षक काम कर रहे है जबकि 44000 से अधिक संस्थान है। इसी तरह राज्यभर में लगभग 70000 निजी स्कूलों में 8 लाख से अधिक शिक्षक काम कर रहे हैं।
19.1 प्रतिशत समय बच्चों को पढ़ाने में बिताते
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशनल प्लानिंग एंड एडमिनिस्ट्रेशन (एनआईईपीए) द्वारा जारी एक रिपोर्ट में पता चला है कि शिक्षक केवल 19.1 प्रतिशत वार्षिक स्कूली समयावधि दौरान बच्चों को पढ़ाने में बिताते है जबकि 42.6 प्रतिशत समय ‘गैर-शिक्षण व विभागीय जिम्मेवारी गतिविधियोंÓ में चला जाता है। लगभग 38.3 प्रतिशत समय स्कूल प्रबंधन से जुड़े कार्य और अन्य शिक्षा विभाग से संबंधित गतिविधियों में चला जाता है।
शिक्षकों को बैंक खाते खोलने, छात्रों की आधार आईडी अपडेट करने, यूनिफॉर्म, छात्रवृत्ति, किताबें, विभाग के परिपत्रों का जवाब देने और शिक्षा प्रबंधन सूचना प्रणाली (ईएमआईएस) को अपडेट करने के रिकॉर्ड को वितरित करने और बनाए रखने में व्यस्त रहते है।
तमिलनाडु शिक्षक संघ के अध्यक्ष पी. के. इलमारन ने बताया कि यह बहुत ही दयनीय है कि यहां राजकीय विद्यालय में शिक्षक 50 प्रतिशत से अधिक गैर-शिक्षण कार्यों के बोझ तले होते है।
बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होगी
स्टेट प्लेटफ़ॉर्म फॉर कॉमन स्कूल सिस्टम-तमिलनाडु के महासचिव पी. बी. राजकुमार गजेंद्र बाबू ने कहा कि तनाव के कारण शिक्षकों का प्रदर्शन खराब होगा और बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होगी। तमिलनाडु सेल्फ-फाइनेंसिंग टीचर्स वेलफेयर एसोसिएशन के उप सचिव के कुमारासन ने कहा कि अगर निजी स्कूलों में शिक्षकों को विभागीय जिम्मेवारियों व गैर-शिक्षण कार्य दिया जाता है, तो वे नौकरी छोड़कर दूसरे स्कूल में चले जाएंगे क्योंकि निजी स्कूलों में बड़े पैमाने पर अवसर है।
जिम्मेवारियों और अन्य गतिविधियों से दबते जा रहे
प्राथमिक से लेकर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय स्तर तक के अधिकांश सरकारी स्कूल के शिक्षकों को लगता है कि उन्हें शिक्षा के अलावा विभागीय जिम्मेवारियों के कार्यों और अन्य गतिविधियों से दबते जा रहे है। शिक्षक यह दावा करते हैं कि इससे छात्रों के शिक्षा और शिक्षक व छात्र के बीच का समन्वय प्रभावित हो रहा है। शिक्षक अक्सर विभाीगय जिम्मेवारियों के बोझ से खिन्न खाते है जिस वजह से वे अपने छात्रों के साथ क्वालिटी टाइम नहीं बिता पाते है।
पूरा समय पंजी रखने में ही लगा देते
ये सच है कि शिक्षकों की तमिलनाडु के सरकारी स्कूलों में काम करने के इच्छुक होते है लेकिन बच्चों की मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा अधिनियम या शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत गुणवत्ता वाली शिक्षा हासिल करने की बच्चों की कानूनी अधिकार के उल्लंघन जैसा होगा। शिक्षकों की कमी की वजह से स्कूलों में जो बचे हुए शिक्षक हैं, वो अपना पूरा समय पंजी रखने में ही लगा देते हैं। काम के बोझ तले शिक्षक दबे जा रहे हैं, इसकी वजह से शिक्षकों में कई बीमारियांं घर कर गई हैं। ऐसा शिक्षक खुद बोल रहे हैं। इसका खामियाजा प्राथमिक स्कूलों में पढऩे वाले लाखों छात्रों को उठाना पड़ रहा है।
एमएचआरडी दिशा निर्देश
मानव संसाधन और विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) के अधिसूचना के अनुसार चुनावों, जनगणना संबंधित और आपदा से संबंधित कार्यों को छोड़कर शिक्षकों के लिए सभी गैर-शैक्षणिक कार्यों पर प्रतिबंध है। हालांकि, एमएचआरडी दिशा निर्देश के अनुसार छुट्टियों के दौरान या गैर-शिक्षण घंटों के दौरान या गैर-शिक्षण दिनों में मतदाता सूची संशोधन सहित अन्य सभी जिम्मेवारियों का वहन करना चाहिए। हालाकि यह संभी नहीं पा रहाहै, न केवल तमिलनाडु में जबकि पूरे देश में इसके विपरीत है।
सीबीएसई इस मामले में सख्त
सीबीएसई ने एक परिपत्र में निजी स्कूलों से कहा था कि वे यह सुनिश्चित करें कि उनके शिक्षकों पर गैर-शिक्षण कर्तव्यों का बोझ न पड़े। केंद्रीय सलाहकार बोर्ड और शिक्षा की हालिया बैठक में विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधियों द्वारा उठाए गए शिकायतों की पृष्ठभूमि के खिलाफ सीबीएसई का Óसख्तÓ परिपत्र आया था।