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चेन्नई

अल्पसंख्यकों के मत साबित हुए निर्णायक

theni सीट के अलावा शेष 37 लोकसभा सीटों पर आम चुनाव के जो नतीजे आए थे वही परिणाम वेलूर लोकसभा सीट का भी रहा। परिणाम चौंकाने वाले नहीं थे। एआईएडीएमके को इस बात की संतुष्टि होगी कि वह लडक़र हारी।

चेन्नईAug 10, 2019 / 01:56 pm

shivali agrawal

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अल्पसंख्यकों के मत साबित हुए निर्णायक

चेन्नई. तेनी सीट के अलावा शेष 37 लोकसभा सीटों पर आम चुनाव के जो नतीजे आए थे वही परिणाम वेलूर लोकसभा सीट का भी रहा। परिणाम चौंकाने वाले नहीं थे। एआईएडीएमके को इस बात की संतुष्टि होगी कि वह लडक़र हारी। चुनाव में मुकाबला सीधे डीएमके और एआईएडीएमके के बीच था। मतगणना के दौरान जिस तरह हर चरण के नतीजे सामने आ रहे थे उससे एक बात स्पष्ट हो गई थी कि द्रविड़ दलों का करिश्मा बरकरार है। दोनों ही पार्टियों के प्रत्याशियों को लगभग बराबर मत मिले। एक फीसदी से भी कम वोटों के अंतर से डीएमके को जीत मिली।
जैसा कि डीएमके कोषाध्यक्ष दुरै मुरुगन ने दुरुस्त फरमाया कि कोई भी जीत सामान्य नहीं होती। इस जीत के कई मायने हैं। डीएमके गठबंधन ने पार्टी अध्यक्ष एम. के. स्टालिन के नेतृत्व में अपनी श्रेष्ठता साबित की। डीएमके नीत धर्मनिरपेक्ष प्रगतिशील गठबंधन ने तमिलनाडु में आम चुनाव के वक्त भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विरोधी वातावरण तैयार कर दिया था। उसका असर वेलूर लोकसभा चुनाव में भी नजर आया।
विपक्षी दल एकमत हैं कि राज्य में साम्प्रदायिकता के लिए कोई जगह नहीं है लिहाजा जनता ने भाजपा और एआईएडीएमके गठबंधन को फिर से ठुकरा दिया। इस गठबंधन की यह दुर्दशा 2004 के आम चुनाव में भी हुई थी। उस वक्त जयललिता के रहते हुए भी पार्टी ने एक भी सीट नहीं जीती थी। इस बार उसे एक लोकसभा सांसद से ही संतोष करना पड़ा।
उस बड़ी शिकस्त के तत्काल बाद जयललिता ने हार का ठीकरा भाजपा पर फोड़ दिया था। इस बार भी कुछ ऐसा ही होगा लेकिन एआईएडीएमके के मौजूदा नेताओं में इतनी राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं है कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अथवा केंद्र में सत्तासीन भाजपा के लिए कुछ कहे, जबकि मतदान वाले दिन राज्यसभा में कश्मीर से विशेष दर्जा वापस लेने व जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन का संकल्प पत्र व बिल पेश हुआ था। उससे पहले संसद ने तीन तलाक वाला बिल पारित किया था। संभवत: इसी वजह से अल्पसंख्यकों खासकर मुस्लिमों व ईसाइयों ने एआईएडीएमके को वोट नहीं दिया क्योंकि वह भाजपा के साथ थी।


मुस्लिम बहुल इलाकों में पिछड़े
वेलूर लोकसभा सीट की बात की जाए तो इसमें वेलूर, अनैकट, गुडियात्तम, केवी कुप्पम, आम्बूर और वानियम्बाड़ी विधानसभा क्षेत्र आते हैं। आम्बूर, वानियम्बाड़ी और गुडियात्तम विधानसभा क्षेत्रों में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या अधिक है जबकि वेलूर में मुस्लिमों के अलावा ईसाई भी अच्छी-खासी संख्या में हैं। तीन विधानसभा क्षेत्रों क्रमश: अनैकट, गुडियात्तम और केवी कुप्पम में एआईएडीएमके प्रत्याशी षणमुगम को अधिक वोट मिले जबकि शेष विस क्षेत्रों ने षणमुगम को जीत से महरूम कर दिया। विधानसभा वार दोनों प्रत्याशियों को प्राप्त वोट इस प्रकार हैं :
विस डीएमके एआईएडीएमके

वेलूर 7890172626

अनैकट 7923188770
गुडियात्तम 8288794178
केवीकुप्पम 7199180100
वानियम्बाड़ी 9259970248
आम्बूर 7937170768

साम्प्रदायिक गठबंधन की हार
साम्प्रदायिक पार्टी भाजपा और एआईएडीएमके गठबंधन को तमिलनाडु की जनता ने नामंजूर कर दिया है। वेलूर लोकसभा चुनाव के परिणाम इस सच्चाई का एक और उदाहरण है।
के. बालकृष्णन, माकपा प्रदेश सचिव

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