चिदम्बरम में तिरुमावलवन को हांफते-हांफते मिली जीत
सबसे कम वोट(जीत का अंतर ३२१९ वोटों का)
चिदम्बरम में तिरुमावलवन को हांफते-हांफते मिली जीत
चेन्नर्ई. चिदंबरम लोकसभा सीट से वीसीके प्रमुख तोल तिरुमावलवन को एआईएडीएमके नेता से कड़ी टक्कर मिल रही थी, लेकिन हांफते हांफते वीसीके को जीत हासिल हो गई। सुबह मतगणना शुरू होने के बाद करीब तीन से चार बार ऐसे हालात भी बने कि एआईएडीएमके नेता वीसीके के आगे निकलते दिख रहे थे, लेकिन अंत में वीसीके नेता आगे निकल गए। उनके और एआईएडीएमके के बीच के हार जीत में सिर्फ ३२१९ वोटों का ही अंतर रहा।
तिरुमावलवन को ५ लाख २ हजार २९ वोट मिले, जबकि एआईएडीएमके के चंद्रशेखर पी. को यहां से ४ लाख ९७ हजार ०१० वोट मिले हैं। इससे पहले वर्ष २००९ के लोकसभा चुनाव में वीसीके को इस सीट से सफलता मिली थी, लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में एआईएडीएमके के एम. चंद्रकाशी ने उन्हें पछाड़ दिया था। चंद्रकाशी को यहां से 429536 वोट जबकि दूसरे नंबर पर वीसीके को 301041 वोट मिले थे। यह सीट एअनुसूचित जाति के लिए आरक्षित मानी जाती है। यहां 6,86,862 पुरुष और 6,79,307 महिलाएं मतदाता हैं। यहां अनुसूचित जाति की आबादी 28.02 प्रतिशत के लगभग है और अनुसूचित जनजाति 1.02 प्रतिशत के करीब है। यह सीट कई मायनों में अहम है, यह शहर तिल्लै नटराज मंदिर के लिए मशहूर है। यहां राज्य का पुराना और प्रमुख अन्नामलै विश्वविद्यालय भी है।
जहां तक बात राजनीति की है तो तमिलनाडु की ज्यादातर सीटों के उलट यह सीट कांग्रेस का गढ़ रही है। वर्ष 1957 और 1962 में यहां कांग्रेस पार्टी ने जीत हासिल की थी, लेकिन 1967 में डीएमके ने यहां पहली बार जीत हासिल की। यह सिलसिला 1971 में भी जारी रहा। 1977 में एआईएडीएमके ने यहां जीती, लेकिन 1980 में डीएमके ने फिर यह सीट छीन ली। 1984, 89 और 91 में एक बार फिर कांग्रेस का इस सीट पर कब्जा हो गया था। 1996 के आम चुनाव में डीएमके ने फिर यहां से जीत हासिल की जबकि 1999 और 2004 में पीएमके का कब्जा रहा।
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