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चेन्नई

आज तय होगा जया का सियासी भविष्य

तमिलनाडु की
मुख्यमंत्री और एआईएडीएमके प्रमुख जे. जयललिता के लिए सोमवार का दिन काफी

चेन्नईMay 11, 2015 / 12:02 am

मुकेश शर्मा

Jayalalithaa

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चेन्नई, बेंगलूरू।तमिलनाडु की मुख्यमंत्री और एआईएडीएमके प्रमुख जे. जयललिता के लिए सोमवार का दिन काफी महत्वपूर्ण होगा। सोमवार को ही घोषित आय से अधिक संपत्ति के मामले में अभियोजन व सजा को चुनौती देने वाली जया व तीन अन्य सह अभियुक्तों की याचिका पर कर्नाटक उच्च न्यायालय की एक सदस्यीय विशेष पीठ फैसला सुनाएगी। इस फैसले से ही जया की सियासी भविष्य भी तय होगा।


करीब 19 साल पुराने मामले में पिछले साल 27 सितम्बर को निचली अदालत ने जया सहित सभी आरोपितों को चार-चार साल की सजा सुनाई थी। जया पर एक अरब रूपए का जुर्माना लगाया गया था जबकि बाकी आरोपियों पर 10-10 करोड़ रूपए का जुर्माना लगाया गया था।
अवकाश के बावजूद बैठेगी विशेष पीठ


जया व अन्य आरोपियों को जमानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सजा और अभियोजन को चुनौती देने वाली याचिका पर तीन महीने में सुनवाई पूरी करने के लिए हाईकोर्ट को विशेष पीठ गठित करने और दैनिक आधार पर सुनवाई करने का निर्देश दिया था। इसके बाद ही जस्टिस सी. आर. कुमारस्वामी की अध्यक्षता में विशेष पीठ का गठन किया गया था।


सुप्रीम कोर्ट की तीन महीने की मियाद पूरी होने से एक दिन पहले ही हाईकोर्ट फैसला सुनाएगी। हाईकोर्ट में ग्रीष्मावकाश होने के बावजूद सोमवार को विशेष पीठ सुबह 11 बजे फैसला सुनाने के लिए बैठेगी। हालांकि, इस दौरान जया व अन्य आरोपितों की व्यक्तिगत तौर पर मौजूदगी जरूरी नहीं है।

जयललिता के 1995 में पहली बार तमिलनाडु की मुख्य्मंत्री रहने के दौरान उनके खिलाफ 66 करोड़ रूपए की आय से अधिक संपत्ति जुटाने का आरोप लगा था। 2001 में जयललिता जब दुबारा सत्ता में आई तब इस केस को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बेंगलूरू के विशेष न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया था।

हाईकोर्ट के आसपास निषेधाज्ञा


इस बीच, सोमवार को इस केस का फैसला आने के मद्देनजर पुलिस ने उच्च न्यायालय के आसपास के एक किमी के दायरे में धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लगा दी है। किसी भी गड़बड़ी से निपटने के लिए शहर के प्रमुख स्थानों पर पुलिस का पहरा बढ़ा दिया गया है।


जिला सशस्त्र पुलिस बल पुलिस की कई कंपनियों को मिलाकर करीब 2 हजार पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है।

1. फैसले का महत्व

यह न्यायिक फैसला अहम है।इससे राज्य का राजनीतिक परिदृश्य प्रभावित हो सकता है। राज्य में करीब एक साल बाद ही विधानसभा चुनाव होने हैं।
पिछले साल बेंगलूरू की विशेष अदालत द्वारा दोषी करार दिए जाने के कारण जया विधायिका की सदस्यता के अयोग्य हो गई थीं और उन्हें मुख्यमंत्री का पद छोड़ना पड़ा था।
मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए सजा के कारण अयोग्य होने वाली जया पहली मुख्यमंत्री थीं।

2. नहीं मिली राहत तो….

अगर जया को हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली तो पार्टी के भविष्य पर भी संशय के बादल मंडराने लगेंगे।
अगले चुनाव में पार्टी के सामने नेतृत्व का संकट होगा। जयललिता के लिए पार्टी और कैडर पर नियंत्रण मुश्किल हो जाएगा।
ऎसी स्थिति में वह जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत 10 साल तक चुनाव नहीं लड़ सकेंगी। दोषी करार दिए जाने की तारीख से चार साल और उसके बाद छह साल तक वह चुनाव नहीं लड़ सकेंगी, बशर्ते ऊपरी अदालत अभियोजन को खारिज कर दे।

3. बरी कर दिए जाने पर

एक बार फिर मुख्यमंत्री के तौर पर जया की वापसी का मार्ग प्रशस्त होगा।
अन्नाद्रमुक को जया का नेतृत्व विपक्ष के लिए झटका साबित होगा।
विधानसभा चुनाव में पैर जमाने की भाजपा की उम्मीदों पर ग्रहण लग जाएगा। अन्नाद्रमुक कार्यकर्ता दोगुने उत्साह से चुनाव की तैयारियों में लग जाएंगे।

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