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चेन्नई

हिंदू विवाह कानून के तहत किन्नर महिला को भी दुल्हन कहलाने का अधिकार

मद्रास हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

चेन्नईApr 24, 2019 / 03:25 pm

Ritesh Ranjan

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हिंदू विवाह कानून के तहत किन्नर महिला को भी दुल्हन कहलाने का अधिकार


मदुरै. मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै खंडपीठ के फैसले के बाद एक शख्स और उसकी किन्नर पत्नी ने राहत की सांस ली है। दरअसल, इस शख्स ने किन्नर महिला से एक मंदिर में शादी करने के बाद जब उसे पंजीकृत कराने की कोशिश की तो रजिस्ट्रार कार्यालय ने इनकार कर दिया था। रजिस्ट्रार ने किन्नर महिला को हिंदू दुल्हन मानने से इनकार कर दिया था। मामले की कोर्ट में सुनवाई हुई।
मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै खंडपीठ ने सोमवार को सुनवाई करते इस मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि हिंदू मैरिज एक्ट के तहत हिंदू दुल्हन शब्द ट्रांसजेंडर महिला के लिए भी इस्तेमाल होगा, न कि केवल उसके लिए जिसने महिला के तौर पर जन्म लिया हो।
इसी के साथ कोर्ट ने आदेश दिया कि राज्य सरकार इंटर-सेक्स नवजातों और बच्चों की सेक्स रीअसाइनमेंट सर्जरी को बैन कराए। जस्टिस जीआर स्वामीनाथन ने इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले और रामायण और महाभारत जैसे ग्रंथों का हवाला देते हुए कहा कि हिंदू मैरिज एक्ट में दुल्हन शब्द का मतलब सीमित और अडिग नहीं है। दुल्हन शब्द का मतलब केवल उसके लिए ही नहीं होगा जो महिला के तौर पर पैदा हुआ हो, बल्कि इसका इस्तेमाल ट्रांसजेंडर महिला के लिए भी होगा। यह कहते हुए न्यायमूर्ति ने रजिस्ट्रार कार्यालय को निर्देश दिया कि अरुण कुमार और श्रीजा (जो कि एक ट्रांसजेंडर महिला हैं) की शादी पंजीकृत की जाए। अरुण कुमार और श्रीजा ने पिछले वर्ष 31 अक्टूबर को तुत्तुकुडी के एक मंदिर में शादी की थी, जिसके बाद रजिस्ट्रार ने उसे पंजीकृत करने से इनकार कर दिया था। रजिस्ट्रार कार्यालय से मायूसी हाथ लगने के बाद दम्पती ने कोर्ट का रुख किया था।
न्यायमूर्ति स्वामीनाथन ने सरकार के उस तर्क को भी खारिज कर दिया कि हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 5 के अनुसार दुल्हन शब्द का मतलब शादी के दिन बनने वाली महिला से है और अगर अधिनियम की वैधानिक आवश्यकता पूरी नहीं होती है तो रजिस्ट्रार के पास शादी को पंजीकृत करने की शक्ति है।
इस मामले में फैसला सुनाते हुए मद्रास हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का उल्लेख किया था जिसमें कहा गया था कि ट्रांसजेंडर लोगों को स्व-निर्धारित ***** का फैसला करने का अधिकार है।
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