उन्होंने कहा कि डीएमके ने चुनाव आयोग से लंबे समय से एक ही स्थान पर रहने वाले कुछ वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के तबादले की मांग की थी, लेकिन अधिकारियों के तबादले को लेकर चुनाव आयोग द्वारा किसी भी प्रकार का कदम नहीं उठाया गया। चुनाव के दौरान हुई हिंसा और अन्य घटनाओं को देखते हुए संदेह उत्पन्न होता है कि वास्तव में डीजीपी (चुनाव) को कानून व्यवस्था का प्रभारी बनाया गया था।