सेल्वराज और विवेक की हत्या का दावा करते हुए पीएमके ने मामले में सीबी सीआईडी जांच की मांग की थी। जांच की मांग करते हुए पीएमके ने विल्लुपुरम जंक्शन में प्रदर्शन करने की भी चेतावनी दी थी। प्रदर्शन के लिए पार्टी पदाधिकारी ने विल्लुपुरम डीएसपी कार्यालय से अनुमति भी ली थी, लेकिन अंंत समय में अनुमति को रद्द कर दिया गया था। हालांकि पीएमके सदस्य निर्धारित योजना के मुताबिक जंक्शन पर इकठ्ठा हो गए। जिसके बाद विल्लुपुरम टाउन पुलिस ने विभिन्न धाराओं के तहत ३६३ पीएमके सदस्यों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया था। पीएमके वकील मनूर ए. राजारमण ने कहा कि एक साल के अंदर चार्जशीट तैयार करने के बजाय पुलिस ने १२८७ दिनों की देरी के बाद चार्जशीट को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत में दायर किया। जिसके बाद से मामला मजिस्ट्रेट अदालत में लंबित था। इसी बीच चार्जशीट दायर करने में देरी करने और पीएमके सदस्यों को गलत तरीके से फंसाने का हवाला देते हुए २ दिसंबर २०१९ को विल्लुपुरम जिला कोर्ट में आपराधिक संशोधन याचिका दायर की गई। जिस पर सुनवाई के दौरान जिला कोर्ट के न्यायाधीश एस. आनंदी ने सभी सदस्यों को बरी कर दिया।