विवेकानंद की जयंती रविवार को देशभर में युवा दिवस के रूप में मनाई गई। उनके संदेशों और मिशन को प्रतिफलित करने वाला कन्याकुमारी स्थित विवेकानंद रॉक मेमोरियल आज भी आस्था और आकर्षण का केंद्र है। स्वामी विवेकानंद को वैश्विक भाईचारे का स्वर्णिम संदेश देने की प्रेरणा इसी रॉक पर मिली थी। यह अद्भुत स्मारक इस वर्ष अपनी स्वर्ण जयंती मना रहा है।
विवेकानंद केंद्र की उपाध्यक्ष बी. निवेदिता कहती हैं स्वामी विवेकानंद वे महान और शक्तिशाली विभूति थे जिन्होंने पश्चिम और पूर्व में विद्यमान सर्वश्रेष्ठ व्यवहारों को आत्मसात करने में आने वाली समस्त रुकावटों व बाधाओं को तोड़ा। उनमें पूर्व की अतिप्राचीन बुद्धिजीविता थी तो पश्चिम की वैज्ञानिक प्रतिभा भी थी। यह कोई संयोग नहीं है कि यह अद्वितीय स्मारक उनको समर्पित है, जिसकी बसावट ऐसे स्थल पर है जहां समुद्र के पूर्व और पश्चिमी तट का मिलन होता है।
देवी दुर्ग के अनन्य भक्त स्वामी विवेकानंद ने इसी आध्यात्मिक महत्ता के कारण अपनी तपस्या के लिए इस स्थल का चयन किया था। पवित्र रॉक (चट्टान) पर आसन लगाए स्वामी विवेकानंद ने स्वयं को गहन साधना में लीन कर दिया था। दैवीय मां के साथ गहरी साधना से उनमें ज्ञान की चेतना और उच्चतम आध्यात्मिक बोध का उदय हुआ। यहीं उनको अपने जीवन के उद्देश्य की उपलब्धि हुई जो देवी मां ने उनके लिए निर्धारित की थी। स्वामी विवेकानंद को यहां जो ज्ञान की प्राप्ति हुई उसने उनको महान विद्वान और राष्ट्र निर्माता बना दिया जो अंतत: उनको वैश्विक मार्गदर्शक के रूप में प्रतिष्ठित करने का हेतु बना।
विवेकानंद केंद्र के कोषाध्यक्ष एम. हनुमंतराव स्वामी विवेकानंद के संदेश का स्मरण कराते हैं कि ”महान कार्य उन मस्तिष्क की उपज होती है जिनमें उच्च विचार और उच्चतम आदर्श होते हैं।” आज देश के युवाओं को उस महापुरुष की सीख और प्रेरणा को अपनाने की जरूरत है। युवा दिवस के अवसर पर युवाओं से आह्वान है कि वे स्वामी विवेकानंद की सोच को आत्मसात कर उनके सपनों को हकीकत में बदलने का प्रयास कर उनकी सच्ची श्रद्धांजलि दें।