बतादें कि महानगर के प्रमुख जलस्रोतों में से एक सोलावरम सरोवर पिछले साल दिसम्बर में ही सूख चुका है। हालांकि इस सरोवर में गत मार्च तक आंशिक पानी था लेकिन वह जलापूर्ति के काबिल नहीं था। मसलन राज्य के पीडब्ल्यूडी विभाग ने इस सरोवर के जीर्णोद्धार का काम शुरू कर दिया। कुछ दिन तक इस सरोवर में जेसीबी के माध्यम से गाद निकालने और भूजल स्तर बढ़ाने के लिए खुदाई का काम तेजी से चला, लेकिन यह काम दो महीने से पहले बीच में ही बंद कर दिया गया जो अब तक बिलकुल बंद है। मिट्टी की खुदाई नहीं हो रही है और जेसीबी मशीनें तो इस जलाशय में दूर दूर तक नजर नहीं आ रही हैं जबकि मानसून आने में मात्र दो माह का समय शेष रह गया है।
गौरतलब है कि पिछले सोमवार की रात को सोलावरम इलाके में अच्छी खासी बारिश हुई थी, और आसमान में कई दिन से बादलों का आवागमन जारी है। ऐसे में इस सरोवर के जीर्णोद्धार का काम बंद हो जाना सरकार के उदासीन रवैये को दर्शाता है, जबकि महानगर के सभी इलाकों में जबरदस्त पानी की किल्लत है। आलम यह है कि शहर का एक भी जलाशय महानगर की प्यास बुझाने के काबिल नहीं रहा है जिसका मुख्य कारण भी सरकार की उदासीनता ही है। ऐसे में सरकार के जलाशयों के प्रति अनमनेपन का ही नतीजा है कि महानगर के बाशिंदे बूंद-बूंद पानी के लिए मोहताज हो गए हैं। हर परिवार को अदद टैंकर का इंतजार रहता है।
रेडहिल्स सरोवर में भी मंथर गति से कार्य
महानगर का दूसरा सबसे बड़ा जलस्रोत रेडहिल्स सरोवर भी पूर्णरूपेण सूखा हुआ है। इस सरोवर में भी भूजल स्तर बढ़ाने के लिए महज एक जेसीबी मशीन को उतारा गया है। जो इतनी बड़ी झील की सफाई और गहराई बढ़ाने के लिए नाकाफी है। आलम यह है कि रेडहिल्स और आसपास के स्कूली बच्चे अब इस जलाशय में क्रिकेट खेलते नजर आते हैं। जलाशय के पश्चिमोत्तर और दक्षिण के बांध बिलकुल बौने हो चुके हैं लेकिन सरकार अभी इन जलाशयों के प्रति संवेदनहीन बनी हुई है जबकि मानसून सामने नजर आ रहा है।
रेडहिल्स निवासी आर. केशवन कहते हैं कि सोलावरम और रेडहिल्स सरोवरों की गहराई बढ़ाना बेहद जरूरी है। चारों तटबंध को दुरुस्त रखना सरकार की जिम्मेदारी है, लेकिन यहां पर सरकारी कामकाज तो बस कछुए के चाल से चल रहा है। ये कार्य शुरू तो होते हैं लेकिन पूरे कभी होते ही नहीं हैं। ग्रेटर चेन्नई कॉर्पोरेशन इस सरोवर की सफाई का काम अपने चहेते ठेकेदारों को ही देता है, जो इन जलाशयों की सफाई और गहराई बढ़ाने के काम की सिर्फ खानापूर्ति कर रहे हैं।