अधिकारियों ने बताया कि चेन्नई महानगर में जलसंकट के प्रबंधन के लिए २३३ करोड़ रुपए मंजूर किए गए है। महानगर को पेयजल की आपूर्ति करने वाले झीलों की भराव क्षमता १२७२२ मिलियन घन फीट है। अब इनमें केवल पांच प्रतिशत यानी ६२६ मिलियन घन फीट पानी ही बचा है। जलस्रोतों का स्तर घटने के बाद भी समुद्री जल निर्लवणीकरण प्लांट, वीराणम, नैवेली जलस्रोतों, किसानों के कुंए किराये पर लेकर तथा चिक्करायपुरम की खदानों से प्रतिदिन ५२ करोड़ लीटर पानी महानगरवासियों को उपलब्ध कराया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि प्रतिदिन पानी के ९०० टैंकरों के ९४०० फेरे लग रहे हैं जिनमें २९०० फेरे ऑनलाइन व फोन पर की जाने वाली अग्रिम बुकिंग के होते हैं। जलापूर्ति में विलम्ब नहीं हो इसलिए जलवाहक टैंकरों की क्षमता के अनुरूप आवासीय परिसरों व निजी घरों तक पानी पहुंचाया जाएगा। दो दिन की अग्रिम बुकिंग वाले उपभोक्ताओं को इस नई व्यवस्था से यथासमय पानी की सुपुर्दगी कर दी जाएगी। फिलहाल २ हजार व ३ हजार लीटर की क्षमता वाली छोटी लॉरियों का उपयोग किया जा रहा है। छोटी व संकरी गलियों के आवासों तक आपूर्ति करने के लिए टाटा ऐस गाडिय़ों का भी उपयोग हो रहा है।
अधिकारियों की मानें तो अगर पर्याप्त बरसात नहीं भी होती है तो महानगर में ५२ करोड़ लीटर पानी उपलब्ध होता रहेगा। नैवेली जलस्रोत में ९ गहरे कुंए खोदे जाएंगे इनसे १ करोड़ लीटर पानी मिलेगा। नैवेली खदान और परवनारू नदी से ६ करोड़ लीटर पानी लाने के उपाय हो रहे हैं। ५३ करोड़ की लागत से रेटेरी, पेरुम्बाक्कम, अयनाम्बाक्कम आदि झीलों से प्रतिदिन ३ करोड़ लीटर पानी को शुद्ध कर वितरित किया जाएगा।