नायडू ने कहा दीक्षांत समारोह में आकर उनको बहुत हर्ष हो रहा है, क्योंकि जब वे पढ़ाई करते थे तब से इस कॉलेज के बारे में सुनते आ रहे हैंं। यह कालेज दक्षिण भारत में सबसे पुराना, बेहतरीन और प्रतिष्ठित कॉलेजों में से एक है। उन्होंने कहा इस कॉलेज में ९० प्रतिशत सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थी शिक्षा पाते हैं और राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ लेते हुए अपना भविष्य बेहतर बनाते हंै। शिक्षा एक मिशन होना चाहिए कमीशन नहीं। योग सहित अन्य भारतीय पारंपरिक प्रथाओं के बारे में उन्होंने कहा योग का धर्म से कोई लेना देना नहीं है। वर्तमान में दुनियाभर के १७२ देशों में लोग योग करते हैं। मैंने बहुत सारे देशों का दौरा किया है जहां लोगों को योग के बारे में बात करते देखा हैं।
एआईएडीएमके के वरिष्ठ नेता और मत्स्य पालन मंत्री डी. जयकुमार ने सामान्य परिवार से निकल कर उपराष्ट्रपति के पद तक पहुंचने को लेकर नायडू की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि नेल्लोर जिले के एक कृषक परिवार में जन्म लेने वाले नायडू ने अपनी लगन और मेहनत से इस मुकाम तक पहुंचे हैं। इस मौके पर उच्च शिक्षा मंत्री के. पी. अन्बझगण, उच्च शिक्षा प्रधान सचिव मंगतराम शर्मा, मद्रास विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर पी. दुरैसामी, पे्रसिडेंसी कॉलेज के प्रिंसिपल आर. रावणा सहित अन्य उच्चाधिकारी उपस्थित थे।