बैठक में एक प्रस्ताव पारित करते हुए पार्टी ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा तमिलनाडु के हितों की अनदेखी करते हुए सांप्रदायिकता को बढ़ावा दिया जा रहा है। वहीं भाजपा का विरोध करने वालों को राष्ट्रविरोधी के रूप में देखा जा रहा है। बैठक में भाजपा के भगवाकरण के सपनों को साकार नहीं होने देने का संकल्प लेते हुए आरोप लगाया कि भाजपा का विरोध करने वाली मीडिया को धमकाया जा रहा है। विभिन्न स्थानों पर दलितों और अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है।
डीएमके ने आगे कहा कि भाजपा ने तानाशाही रवैया अपनाते हुए पिछले चार सालों से जनविरोधी सरकार चलाई है। भाजपा द्वारा चुनाव आयोग, आयकर विभाग और सीबीआइ पर नियंत्रण किया गया है। पारित प्रस्ताव में नोटबंदी को जल्दबाजी में उठाया गया कदम और जीएसटी को जनता को गुमराह करने वाला बताया गया। इनकी वजह से देश की अर्थव्यवस्था पर व्यापक असर पड़ा है।
एआईएडीएमके सरकार पर आरोप लगाते हुए पार्टी ने कहा कि राज्य सरकार भ्रष्टाचार का प्रतीक बन गई है। इससे पहले बैठक में राज्य सरकार के खिलाफ १८ सितम्बर को राज्यव्यापी हड़ताल करने की घोषणा की गई। इसके साथ ही गुटखा भ्रष्टाचार मामले में राज्य के स्वास्थ्य मंत्री सी. विजयभास्कर और डीजीपी टी.के. राजेन्द्रन से इस्तीफा की मांग की गई। पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद राजीव गांधी हत्याकांड के सजायाप्ता कैदियों की तत्काल रिहाई की भी मांग की।