जानकारों का कहना है कि महानगर में यातायात व्यवस्था को सुगम बनाना है तो सरकार और यातायात पुलिस को मुख्य मार्ग पर फोरलेन सिस्टम के तहत वाहनों का परिचालन कराना चाहिए ताकि वाहनों की ओवरटेकिंग पर लगाम लग सके। यातायात विशेषज्ञ आर वैद्यलिंगम का कहना था कि किसी मार्ग पर यातायात सिग्नल लाल होने के बाद अक्सर भारी वाहन रुककर हरी बत्ती जलने का इंतजार करते हैं वहीं दुपहिया और तिपहिया वाहन चालक किसी तरह निकलने की जुगत में लगे रहते हैं और इस तरह लालबत्ती में भी आगे जाने के चक्कर में मार्ग को अवरुद्ध कर देते हैं। इस कारण अन्य वाहनों को निकलने में दिक्कत होती है। यही वजह कि कई मार्गों पर वांछित जगह होने के बावजूद जाम लग जाता है।
आलम यह है कि चेन्नई की कई सड़कें ऐसी हैं जो वर्षों से जाम का शिकार है, इन सड़कों पर वाहनों की संख्या तो बढ़ी लेकिन सड़कों की चौड़ाई नहीं। इनकी चौड़ाई बढऩा तो दूर उल्टे अतिक्रमण उन पर कोढ़ में खाज का काम कर रहा है। इस कारण उन सड़कों से आवाजाही कर रहे वाहन चालक अक्सर सरकार को कोसते नजर आते हैं। पुरुषवाक्कम से सटी मार्ग ब्रिकलीन रोड सिंगल है और इस रोड पर दो तरफा यातायात है। महज तीन किलोमीटर दूरी की ब्रिकलीन रोड पर पीक अवर्स में वाहनों का परिचालन बेहद कठिन हो जाता है। जाम लगना इस रोड की नियति बन चुकी है।
यही स्थिति पेरम्बूर बैरेक्स रोड, पूलीयांतोप हाई रोड, माधवरम हाई रोड, पेपर्स मिल्स रोड, प्रकाशम सालै, ईवनिंग बाजार रोड, पूंदमल्ली हाई रोड, वालटेक्स रोड आदि की है जिनसे गुजरना कभी आसान नहीं होता। इनमें से अधिकांश सिंगल रोड है जिन पर वाहनों का भारी दबाव रहता है, खासकर पीक अवर्स में वाहनों की भीड़ इस कदर बढ़ जाती है कि चालक और यात्रियों को हर दिन जाम और प्रदूषण से रुबरु होना पड़ता है। जानकारों का कहना है जिस प्रकार महानगर की आबादी बढ़ रही है उस अनुपात में सड़कों की चौड़ाई नहीं बढ़ रही है। हर दिन नए नए वाहन सड़क पर उतर रहे हंै लेकिन सड़कों की चौड़ाई जस की तस है। ऐसे में महानगर में यातायात जाम और प्रदूषण की समस्या आम हो चुकी है। इसे कम करने के लिए जहां सड़कों की चौड़ाई बढ़ाना तो जरूरी है ही, सिंगल रोड्स को वन-वे कर देने से कुछ हद तक आवागमन की समस्या पर काबू पाया जा सकता है।