वारदात के बाद आरोपी ने पीडि़ता को धमकाया और घर छोड़ गया। बेटी की तकलीफ देखकर जब मां ने पूछा तो बेटी ने पूरी घटना की जानकारी दी। जिसके बाद मां की रिपोर्ट पर पुलिस ने आरोपी के खिलाफ बलात्कार व पास्को एक्ट के तहत केस दर्ज किया। मामले में अपर लोक अभियोजक अजय मिश्रा ने पैरवी करते हुए कोर्ट में सबूत पेश किए। मामले की सुनवाई के बाद शुक्रवार को न्यायालय ने फैसला दिया कि बलात्संग एक बालिका के चरित्र पर हमला है और उसके सम्पूर्ण व्यक्तित्व को भी नष्ट करने की प्रवत्ति का द्योतक है। विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट निशा गुप्ता बिजावर की अदालत ने आरोपी को आईपीसी की धारा 363 में 2 वर्ष की कठोर कैद के साथ 1000 रुपए जुर्माना, धारा 366 के तहत 3 वर्ष की कठोर कैद के साथ 1000 रुपए जुर्माना एवं धारा 376 में 10 साल की कठोर कैद के साथ 5000 रूपए जुर्माना की सजा सुनाई है।
इधर, फर्जी अंकसूची से नौकरी प्राप्त करने वाले रोजगार सहायक को 5 साल का सश्रम कारावास और 5 हजार रुपए के अर्थदंड की सजा सुनाई गई है। जिला एवं सत्र न्यायाधीश हृदेश श्रीवास्तव ने भारतीय दंड विधान की धारा 467 में 5 वर्ष का सश्रम कारावास और 10000 रुपए, धारा 420 में 2 वर्ष सश्रम कारावास और 5000 रुपए अर्थदंड, धारा 468 में 2 वर्ष का सश्रम कारावास और 5000 रुपए के जुर्माना की सजा सुनाई है।
आरोपी विमलेश रैकवार ने वर्ष 2011 में ग्राम रोजगार सहायक के पद हेतु आवेदन पत्र के साथ कंप् यूटर साक्षरता की फर्जी अंकसूची लगाई। जिससे उसने 20 अंक अतिरिक्त प्राप्त कर नौकरी पा ली। आवेदन जमा करने वाले इमलाहा ग्राम रोजगार सहायक रमेश कुमार ने इसकी शिकायत जिला प्रशासन से की, लेकिन इस पर कार्रवाई नहीं की गई। उसके बाद रमेश कुमार ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट राजनगर न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत किया। जिसमें न्यायालय ने प्रथम दृष्टया आरोपी सही पाते हुए आरोपी विमलेश कुमार के खिलाफ धोखाखड़ी समेत अन्य आरोप में केस दर्ज कर मामले को जिला एवं सत्र न्यायाधीश के न्यायालय ट्रांसफर कर दिया। सत्र न्यायालय ने सुनवाई के दौरान पाया कि आरोपी ने फर्जी कंप्यूटर डिप्लोमा प्रमाण पत्र लगाकर 20 अकं प्राप्त करके रोजगार सहायक के पद पर नियुक्ति पा गया। फर्जी अंकसूची जानते हुए भी उसने 3 साल तक नौकरी की। न्यायालय ने आरोपी विमलेश रैकवार को 5 साल का सश्रम कारावास व 20 हजार रुपए के जुर्माना की सजा सुनाई है।