बारिश के कारण पशुओं को मक्खियों के काटने की दिक्कतें प्रारंभ हो जाती हैं इसलिए खेतों में बैठने वाले पशु भी इन दिनों सूखी सड़कों पर बैठने लगते हैं। छतरपुर के सभी राष्ट्रीय राजमार्गों पर इन दिनों बड़ी संख्या में आवारा पशु आ चुके हैं। जिला मुख्यालय पर भी दर्जनों की संख्या में एक-एक स्थान पर बैल, गाय बैठे नजर आ रहे हैं। इन पशुओं के चलते पहले भी कई दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। आने वाले दिनों में भी दुर्घटनाओं की आशंका बनी हुई है।
जिले में फिलहाल 30 गौशालाएं मौजूद हैं जहां गौवंश को रखने के लिए शासन अनुदान दे रहा है। इसके साथ ही कमलनाथ सरकार के कार्यकाल में जिले में पंचायतों के स्तर पर भी गौशालाओं के निर्माण शुरू हुए थे। इस योजना के तहत भी तकरीबन 70 गौशालाएं निर्माणाधीन हैं। गौवंश को रखने के लिए अधोसंरचना और अनुदान की कोई कमी नहीं है फिर भी आवारा जानवरों को शिफ्ट नहीं किया जा रहा है।
सड़कों पर मारे-मारे फिर रहे गौवंश
शहर हो या गांव, सभी जगह गौ-वंश की दुर्दशा हो रही है। ऐसा कोई दिन नहीं बीतता जिस दिन गौ-वंश सड़क दुर्घटना का शिकार न हो, जिस दिन किसी गाय की तड़प-तड़प कर मौत न होती हो। इन सड़क दुर्घटनाओं का शिकार लोग भी हो रहे हैं। इन सड़क दुर्घटनाओ में लोग या तो घायल हो रहे हैं, या उनकी भी मौत हो रही है। गौ-वंश के सड़कों पर आ जाने से सड़क जाम से लेकर, दुर्घटनाओं में इजाफा हुआ है। हालात ये आ चुके हैं, कि दुर्घटना में रोजाना गाय और इंसान की मौत हो रही है। दो वक्त के दाना-पानी के बदले दूध देने और मरने के बाद शरीर के चमड़े से कई लोगों का रोजगार चलाने वाली गाय, सड़कों पर मारी-मारी इसलिए फिर रही हैं, क्योकि उनके रहने-खाने का इंतजाम इंसान ने छीन लिया। गाय सड़कों पर आ गईं, बस यहीं से गाय सड़क दुर्घटना की वजह और शिकार बनने लगी हैं।
दुर्घटना में घायल गौवंश का इलाज का काम करने वाली हरिओम गौशाल के आंकड़ो के मुताबिक छतरपुर शहर में लगभग तीन हजार गाय ऐसी हैं, जिनके न रहने का ठिकाना है, न खाने-पीने का इंतजाम है। शहर के हर वार्ड में कम से कम 70 गाय हैं, जो खाने की तलाश में सड़कों, गलियों में भटकती रहती है। हर सड़क पर इसी वजह से जाम लगता है। सड़क के किनारे और सड़क पर बैठी गायों को बचाने के प्रयास में सड़क दुर्घटना होती हैं। रात के समय सड़क पर बैठे गौ-वंश बड़ी सड़क दुर्घटनाओं की वजह बन रहे हैं। गायों को बचाने के चक्कर में रोजाना 5 एक्सीडेंट शहर में हो रहे हैं। इन दुर्घटनाओं में 2 से तीन गाय की रोजाना मौत हो रही है, कम से कम चार लोग घायल हो रहे हैं। ये तो आम दिनों की बात है,बारिश के मौसम में रोजाना कम से कम 15 एक्सीडेंट होते हैं,जिनमें 10 गायों की मौत हो जाती है, 12 लोग गंभीर घायल हो जाते हैं, 2 से 4 लोगों की मौत हो जाती है।
हर दिन होते हैं हादसे
गौवंश सबसे ज्यादा बारिश के मौसम में सड़क हादसे का शिकार होते हैं,कोई दिन ऐसा नहीं गुजरता जब दुर्घटना न हो,लोग और गाय घायल न हो, या उनकी जान न चली जाए। छतरपुर में गाय के इलाज की व्यवस्था भी सीमित है,ऐसे में जान बचाना बहुत मुश्किल होता है।
पारस उर्फ डब्बू दुबे,गौ सेवक
नोटिस जारी कर रहे
इस संबंध में कलेक्टर के निर्देश के बाद सभी नगरीय निकायों को पत्र जारी किए गए थे। यदि निकायों ने अब तक आवारा जानवरों को गौशाला नहीं भेजा है तो इस संबंध में नोटिस जारी कर जवाब लेंगे।
अमर बहादुर सिंह, सीईओ जिपं छतरपुर