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छतरपुर

मुआवजा राशि में अफसर कर रहे बंदरबांट, अपात्रों को बांट दिया करोड़ों रुपए

– मुआवजा वितरण में हो रहे भेदभाव और मनमानी का लगातार हो रहा विरोध, नहीं सुन रहे अफसर- 2710 करोड़ रुपए की लागत से किया जा रहा झांसी-खजुराहो फोर लेन का निर्माण

छतरपुरJan 14, 2019 / 06:53 pm

Neeraj soni

Continued protest of discrimination and arbitrariness in compensation distribution; Officers not listening

Chhatarpur

नीरज सोनी
छतरपुर। झांसी से खजुराहो तक प्रस्तावित फोर लेन मार्ग निर्माण की परियोजना नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अफसरों से लेकर राजस्व विभाग के अफसरों के लिए दुधारू गाय साबित हो रही है। परियोजना के लिए अधिग्रहित की गई जमीनों के मुआवजा वितरण में राजस्व और एनएच के अफसरों ने बड़ा खेल कर डाला है। सरकारी जमीनों को प्राइवेट बताकर कहीं अपात्र व्यक्ति को मुआवजा के लिए अवॉर्ड पारित कर आपस में राशि बांट ली है तो कहीं कीमती जमीन का मामूली सा मुआवजा दिया गया है। ऐसे में इस बहुआयामी और बहुप्रतीक्षित परियोजना के तय मापदंडों के अनुसार पूरी होने में संदेह पैदा होने लगा है।
झांसी से खजुराहो तक फोरलेन मार्ग बनाने का काम तेजी से चल रहा है। नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) ने तीन साल पहले मानचित्र के अनुसार सड़क मार्ग का भौतिक सत्यापन करने के बाद फोर लेन का काम शुरू कर दिया था। जैसे-जैसे इस परियोजना का काम तेज हुआ, वैसे ही इसमें लगे अफसरों ने जमीन अधिग्रहण के नाम पर खेल करना शुरू कर दिया। मुआवजा वितरण में जमकर मनमानी की जाने लगी। जिनकी जमीन फोरलेन को छू भी नहीं रहीं थी, उनको भी एनएच के अफसरों ने मुआवजा थमा दिया। आरोप लगे कि मुआवजा राशि आपस में बांटने के नाम पर इस तरह का खेल किया गया है। वहीं सैकड़ों मामले ऐसे भी सामने आ चुके हैंं जिनमेें महंगी और बेशकीमती जमीन के बदले भूस्वामी को महज कुछ हजार रुपए मुआवजा राशि दी गई है। वहीं कई जमीनों के नाम पर बार-बार मुआवजा निकाला जा रहा है। परियोजना के नाम पर आए करोड़ों रुपए को ठिकाने लगाने के लिए एनएचएआई के अफसर नियम ताक पर रखे हुए है। इस स्थिति के चलते किसानों और जमीन मालिकोंं मेंं असंतोष पनप रहा है। कई जगह भू-स्वामी अपनी जमीनों पर काम नहीं होने दे रहे हैं तो कई जगह संघर्ष की स्थिति बन रही है। ऐसे में परियोजना पूरी होने में अतिरिक्त समय लग सकता है, या फिर जल्दबाजी में सड़क की गुणवत्ता प्रभावित होगी।
ऐसे हुआ खेल : जमीन सरकारी होने के एक साल बाद दे दिया मुआवजा :
फोर लेन के लिए जमीन अधिग्रहण मामले में एनएच ओर राजस्व के अफसर किस तरह खेल कर रहे होंगे, इन दो मामलों से समझा जा सकता है। छतरपुर से सटे पन्ना रोड के ग्राम चंद्रपुरा में दो केस ऐसे सामने आए हैं, जिनमें नियम ताक पर रखकर मुआवजा वितरित किया गया है। खसरा नंबर २४/१/२/१ और २४/१/२/२ को १८ जुलाई २०१७ में शासकीय घोषित कर दिया गया था। लेकिन एनएच के अफसरों ने १६ जनवरी २०१८ को इन जमीनों का अवॉर्ड पारित कर दिया। २७० आरे जमीन का के बदले ३६ लाख ९५ हजार २७७ रुपए का मुआवजा आकांक्षा पति कुलदीप सिंह को दे दिया गया। इसी तरह खसरा २४/१/२/२ की १५० आरे जमीन के बदले ३० लाख ६१ हजार ४६ रुपए का मुआवजा ओमप्रकाश पिता राजामराम मिश्रा और सीताराम मिश्रा को दे दिया गया। इसी तरह कई ऐसी जमीनों के नाम से भी मुआवजा जारी किया गया, जहां से दूर-दूर तक फोरलेन मार्ग टच भी नहीं हो रहा है।
मुआवजा दिए बगैर किसानों की फसलें रौंद डाली :
फोर लेन निर्माण के लिए किसानों की जमीन अधिग्रहित की गई है। लेकिन किसानों की जमीनों का उचित मुआवजा नहीं मिलने से किसान अपने यहां पर काम शुरू नहीं होने दे रहे हैं। ऐसे में निर्माण कार्य कर रही पीएनसी कंपनी के अधिकारियों द्वारा प्रशासन से साठगांठ कर जबरदस्ती खड़ी फ सल पर जेसीबी चलाई जा रही है। इसे जिले में गुस्साए किसानों बार-बार प्रदर्शन कर रहे हैं। ज्ञापन भी दे चुके हैं और भोपाल तक जाकर शिकायत भी कर चुके हैं। नौगांव क्षेत्र के ग्राम दौरिया, पचवारा, चौबारा, पचवारा, बिलहरी, नयागांव, सिगरावन, ददरी, माधोपुर, बरट सहित अन्य गावों के किसान कम मुआवजा मिलने से परेशान है।
यह भी हो रही है गड़बड़ी :
किसान विनोद पटेल, संतोष पटेल, देवेंद्र पटेल, चंद्रभान पटेल, भगवान चरण पटेल, बालचंद्र पटेल ने बताया कि झांसी से खजुराहो फोरलेन निर्माण योजना के तहत निजी जमीनों पर अधिग्रहण किया जा रहा है। इसमें भू अर्जन अधिकारी द्वारा किसानों को बिना सुनवाई का मौका दिए पिछली तारीखो में भूमि अधिग्रहण अवार्ड पारित कर भू अभिलेखों में उनकी जमीनों को भूमियां सरकारी दर्ज करा दी गई। इसके लिए किसानों को कोई मुआवजा राशि अभी तक उन्हें नहीं दी गई। किसानों ने मांग उठाई है कि फोरलेन में जा रही जमींन का कलेक्टर गाइडलाइन के अनुसार मूल्यांकन कर वर्तमान भू-अर्जन अधिनियम के तहत मिलने वाले सभी हितलाभों को जोड़कर निर्धारित मुआवजा राशि दिलाई जाए। भू-अर्जन अवार्ड पारित दिनांक से मुआवजा वितरण करने के बीच लगने वाला समय का अवार्ड में निर्धारित की गई राशि पर प्रथक से ब्याज भी दिलाया जाए। हालांकि किसानों की यह मांग सुनने वाला भी कोई नहीं है।
एक नजर परियोजना पर :
झांसी के कानपुर रोड स्थित दिगारा से मप्र के छतरपुर जिले के खजुराहो तक १७९ किमी तक बनने वाले फोर लेन मार्ग का निर्माण दो चरणों में होता है। दोनों चरणों का काम एक साथ किया जा रहा है। अभी तक ७१ फीसदी काम पूरा हो गया है। प्रस्तावित परियोजना के अनुसार सन् 2020 तक फोरलेन पर वाहन दौडऩा की समय सीमा निर्धारित है। फोरलेन बनने के बाद झांसी से खजुराहो जाने में दो से ढाई घंटे ही लगेंगे। अभी यह सफर चार से पांच घंटे में पूरा होता है। सड़क का एकल मार्ग होने के कारण अभी वाहनों को झांसी से खजुराहो तक की 179 किलोमीटर की दूरी करने में चार से पांच घंटे का समय लग जाता है। केंद्र सरकार ने देशी, विदेशी पयर्टकों और बुंदेलखंड के आम लोगों की समस्या को ध्यान में रखकर 2710 करोड़ की इस योजना को मंजूरी दी थी। यह योजना दो चरणों में होगी। दोनों ही चरणों का काम एक साथ चलेगा। झांसी की तरफ 76 किलोमीटर ओर खजुराहो की तरफ से 89 किलोमीटर सड़क डाली जाएगी। झांसी से खजुराहो के बीच 15 छोटे ब्रिज, 6 बड़े ब्रिज, 21 अंडर पास ब्रिज तैयार हो रहे हैं। इस फोर लेन के बीच एक टोल प्लाजा भी होगा।
यह हो रही है गड़बड़ी :
1. बिना मुआवजा वितरित किए ही कई जगह पर निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया।
2. खेतों में खड़ी किसानों की फसलों पर मशीनें चलाकर उन्हें नष्ट कर दिया गया।
3. मुआवजा राशि मेंं खेल करने के लिए कई जगह से ड्राइंग डिजाइन मेें ही संशोधन करके रास्ता कई बार घुमाया गया है।
४. सरकारी रिकॉर्ड में मप्र शासन के नाम दर्ज जमीनों का मुआवजा प्राइवेट व्यक्ति के नाम से जारी कर दिया गया।
५. किसानों को बिना सूचना और सुनवाई का मौका दिए बगैर ही एकतरफा ढंग से जमीन का अधिग्रहण करके शासकीय घोषित कर लिया जा रहा है।
मुआवजा वितरण नियमानुसार किया जा रहा है :
फोर लेने के जो भी जमीन अधिग्रहण की गई है, सभी को शासन की तय गाइड लाइन के अनुसार ही मुआवजा दिया गया है। कुछ जगह विवाद है, लेकिन उनको भी निपटा लिया जाएगा। जहां गड़बड़ी होगी, उसकी जांच करके कार्रवाई की जाएगी। जिन लोगों को गलत मुआवजा मिल गया है, उनसे वसूली के लिए एसडीएम को पत्र लिखा गया है। हालांकि अभी तक रिकवरी नहीं हो पाई है।
– पीडी बालचंद्रन, परियोजना निदेशक एनएचएआइ

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