हरपालपुर में तीन कौओं की हुई थी मौत
हरपालपुर के स्टेशन मोहल्ला में प्राथमिक शाला की छत पर एक कौआ मृत अवस्था में मिला था। अध्यापक ने तत्काल इसकी सूचना प्रशासन को दी है वहीं स्टेशन मोहल्ला में स्थित मजार के पास एक कौआ मृत मिला है। लहचूरा रोड में भी एक कौआ की मौत सामने आई थी। सूचना मिलते ही विभाग द्वारा संबंधित स्थानों पर जाकर मृत कौओं के सैंपल लेते हुए उन्हें दफना दिया गया। सैंपल जांच के लिए भोपाल लैब भेजे गए, जिनकी रिपोर्ट में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई है। वहीं, रविवार को हरपालपुर में फिर से एक कौआ मृत पाया गया। हरपालपुर के गल्र्स स्कूल के पास मृत पाए गए कौआ का सैंपल लेकर भोपाल भेजा गया है।
राजनगर क्षेत्र के ग्राम हकीमपुरा में रविवार को एक कौआ की मौत हुई थी, जिसका सैंपल जांच के लिए भेजा गया है। वहीं, छतरपुर के सटई रोड व बालाजी पुरम में कबूतरों की मौत हुई थी। चौबे कालौनी में अन्य पक्षियों की मौत, बुुधवार को शहर से सटे गौरगांय में नेशनल हाइवे किनारे एक कबूतरा मृत अवस्था में मिला। वहीं बारीगढ़ में नगर परिषद के पास एक मैदान में बाज की मौत हो गई। उपसंचालक पशु चिकित्सा विभाग डॉ. विमल तिवारी ने बताया कि जिले में अबतक 20 पक्षियों की संदिग्ध मौत हुई है।
उपसंचालक पशु चिकित्सा डॉ. विमल तिवारी ने बताया कि यदि पक्षी मृत अवस्था में मिलता है तो उसे छूने के दौरान हाथों में पॉलीथिन का इस्तेमाल करना चाहिए और तुरंत विभाग को सूचना देना चाहिए। उन्होंने बताया कि एआर सोनी को नोडल अधिकारी बनाया गया है जिनका मोबाइल नंबर 9893367713 है। उन्होंने साबुन से हाथ धोने और सैनेटाइजर का उपयोग करने की भी सलाह दी।
डॉ. विमल तिवारी के मुताबिक पूर्व के अनुभवों के आधार पर बर्ड फ्लू से इंसानों को ज्यादा खतरा नहीं है फिर भी सावधानी बेहद जरूरी है। उन्होंने बताया कि 9 जनवरी को कलेक्टर की अध्यक्षता में बैठक हुई थी और बीमारी से सचेत रहने के लिए विभिन्न विभागों से समन्वय बनाया गया था। एच-5 एन-8 नाम का वायरस बर्ड फ्लू के दौरान पक्षियों के शरीर में प्रवेश करता है और यह वायरस पूरे शरीर में फैल जाता है। उन्होंने बताया कि जंगली पक्षियों में इस वायरस का ज्यादा असर देखने को मिलता है। मुर्गी फार्म संचालकों को विशेष सुरक्षा बरतने की जरूरत है।
एंटी वायरल ड्रग की कर रहे कार्रवाई
भारत शासन द्वारा जारी एडवाइजरी अनुसार सभी प्रभावित जिलों में एवियन इनफ्लूएंजा से बचाव, रोकथाम और नियंत्रण के उपाय करने के निर्देश दिये गये हैं। पशु चिकित्सा अधिकारियों से पोल्ट्री एवं पोल्ट्री उत्पाद बाजार, फार्म, जलाशयों एवं प्रवासी पक्षियों पर विशेष निगरानी रखने के साथ मुर्गियों का नियमित सर्विलांस करने के निर्देश दिये गये हैं। सभी जिलों में कंट्रोल रूम की स्थापना की जाकर रैपिड रिस्पांस टीमों का गठन कर दिया गया है। नियंत्रण एवं शमन कार्य में संलग्न अमले द्वारा पीपीई किट पहनकर एंटी वायरल ड्रग के बाद कार्यवाही की जा रही है। पोल्ट्री एवं पोल्ट्री उत्पाद बाजार में बायो सिक्युरिटी मापदण्डों का पालन किया जा रहा है। पशु चिकित्सा अधिकारी प्रतिदिन के कार्यों की रिर्पोटिंग संचालनालय पशुपालन चिकित्सा अधिकारी को ईमेल के द्वारा कर रहे हैं, जिनके आधार पर त्वरित कार्यवाही की जाकर रोकथाम के अविलंब उपाय किये जा रहे हैं।