एटीएम के क्लोनिंग से हो रही साइबर ठगी, एक सप्ताह में तीन वारदात
खाते से गायब हो रहे रुपए, एटीएम क्लोनिंग के बाद ठग निकाल रहे रुपए एटीएम स्वीच ऑफ ऑप्शन से बच सकते है क्लोनिंग के फ्रॉड से
छतरपुर। साइबर अपराधी लोगों के बैंक खाते को निशाना बनाने के लिए कई तरह के पैतरें अपनाते रहे हैं। लोगों को झांसा देने के लिए हर बार क्राइम का तरीका भी बदल रहे हैं। ठगी के जिन तरीकों का खुलासा हो गया है या लोग जिन तरीकों को लेकर सावधान हो गए हैं, ऐसे तरीकों को ठग बदलकर नए-नए तरीके से ठगी कर रहे हैं। छतरपुर जिले में इन दिनों एटीएम क्लोनिंग करके ठगी की वारदातों को अंजाम दिया जा रहा है। क्लोनिंग होने पर एटीएम ग्राहक के पास ही रहता है, लेकिन साइबर ठग उसके खाते से रकम निकाल या ट्रांसफर कर लेते हैं। इसी तरह के तीन मामले पिछले एक सप्ताह में ही जिले में सामने आए हैं। तीनों मामले में एटीएम ग्राहक के पास ही रहता है, लेकिन उनके एटीएम क्लोन से दूसरे शहर में खाते से रकम निकाल ली जाती है। बैंकों ने अपनी सिक्योरिटी में कमी के कारण ऐसे लोगों के रुपए भी लौटाए हैं, जिनके साथ ठगी हुई है। बैंक, इंटरनेट बैंकिंग के जरिए एटीएम इस्तेमाल के बाद स्वीच ऑफ करके रखने की सलाह दे रहे हैं, ताकि एटीएम क्लोनिंग होने पर भी उनके खाते से रकम न निकाली जा सके।
ऐसे होती है कार्ड की क्लोनिंग
ठग एटीएम मशीनों में एक किट लगाते हैं। इसमें कीपेड पर एक मेट के तरीके का उपकरण, स्वाइप की जगह कॉपी मशीन और पासवर्ड को देखने के लिए एक बटन जैसा कैमरा लगाया जाता है। यह कैमरा आपके पासवर्ड और स्वाइप की जगह लगी मशीन आपके डेटा को सेव करती है। इस मशीन में जितने भी एटीएम स्वाइप होते है। उनका डेटा इस डिवाइस में चला जाता है। इसे मौका पाकर ठग निकाल लेते हैं। जिसके बाद कार्ड का क्लोन तैयार कर पीडि़त की जेब में उसका कार्ड होने के बाद भी क्लोन के जरिए खाते से रुपए निकाल लेते हैं। साइबर ठग डेबिट और क्रेडिट कार्ड का क्लोन करते हैं।
एटीएम क्लोनिंग से हुई तीन ठगी
केस-1
बिजावर क्षेत्र के ग्राम दालौन निवासी संगीता का खाता बिजावर के भारतीय स्टेट बैंक में है। उसके खाते में जमा राशि में से दो बार रुपए निकाले गए। हैकर ने पहले संगीता के खाता से 30 हजार रुपए सटई के किसी एटीएम में ट्रांसफर कर दिए। इसके बाद बाकी के 16 हजार रुपए उसने एटीएम के जरिए निकाल लिए। जब संगीता के मोबाइल पर अचानक से मैसेज आने लगे तो वह परेशान हो गई। उसने पहले अपना एटीएम लॉक करवाया, इसके बाद खाता चैक करवाया तो उसमें से ४६ हजार रुपए गायब मिले। इस पर महिला ने थाना जाकर रिपोर्ट दर्ज करवा दी। पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ सायबर क्राइम और ठगी का मामला दर्ज किया है।
केस-2
बड़ामलहरा के वार्ड नंबर 14 के निवासी नरवदिया अहिरवार का बड़ामलहरा के भारतीय स्टेट बैंक में उनका खाता है। इस खाते में उन्होंने बेटी की शादी के लिये रकम इक_ा की थी। लेकिन अज्ञात व्यक्ति ने 6 मार्च को उनके खाते से एक लाख रुपए गायब कर दिए। सहायक सब इंस्पेक्टर ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई कि, उनके भतीजे दिनेश अहिरवार ने 6 मार्च को बड़ामलहरा के गंज तिराहा स्थित एटीएम से 20 हजार रुपए निकाले और घर चला गया। अगले दिन 7 मार्च की सुबह 5.45 बजे मोबाइल पर 20 हजार रुपए निकलने का मैसेज आया। फिर उसी दिन सुबह 9.40 और 11.30 बजे 40-40 हजार रुपए आहरण होने के संदेश मोबाइल पर आए। पीडि़त का कहना है कि उन्होंने या उनके परिवार के सदस्यों ने 7 मार्च को काई राशि नहीं निकाली, इसके बावजूद बैंक खाते से तीन किस्तों में एक लाख रुपए गायब हो गए। बैंक से पता चला कि ये आहरण नरसिंहपुर के एटीएम से रकम ट्रांसफर करके किए गए।
केस-3
राजनगर तहसील के गांव भैरा में पदस्थ पटवारी हरिओम मिश्रा के खाते से 90 हजार रुपए गायब होने की शिकायत थाने में की है। पटवारी का खाता अजयगढ़ एसबीआइ की ब्रांच में है। जिसमें 90 हजार 987 रुपए जमा थे। पटवारी ने बताया कि एटीएम के जरिए उन्होंने छतरपुर में रुपया निकालने की कोशिश की तो खाते में केबल 987 रुपए ही शेष बचे थे। बैंक से इस बारे में बात की तो पता चला कि 13 मार्च को 60 हजार और फिर 30 हजार रुपए उनके खाते से निकाले गए हैं।
सुरक्षा में कमी पर बैंक लौटा रहा रुपए
बैंक के किसी ग्राहक के साथ ठगी की वारदात में बैंक की सिक्योरिटी में कमी होने पर बैंक ग्राहक को उसके रुपए लौटा रहा है। आरबीआइ के नॉम्र्स के मुताबिक ग्राहक की गलती नहीं है, तो बैंक को ही रकम वापिस करने का दायित्व दिया गया है। ठगी के शिकार लोगों को बैंक मैनेजर से मिलकर एक आवेदन करना होता है, ये आवेदन रीजनल ऑफिस के माध्यम से भोपाल भेजा जाता है। जहां खाते का मिलान करने के बाद बैंक ग्राहक से ठगी गई राशि वापिस लौटा देता है। छतरपुर के हटावारा स्कूल के पूर्व प्राचार्य ओपी शर्मा के खाते से तीन माह पहले एटीएम क्लोनिंग के जरिए 1.20 लाख रुपए कानपुर से निकाल लिए गए थे। पूर्व प्राचार्य ने इसकी शिकायत बैंक से की और आरबीआइ के नॉम्र्स के अनुसार तीन माह बाद उनके रुपए बैंक ने वापिस किए।
स्वीच ऑफ रखे एटीएम
एटीएम क्लोनिंग से होने वाली ठगी से बचने के लिए इंटरनेट बैंकिंग सेवा के ग्राहक एप्लीकेशन के जरिए अपने एटीएम को स्वीच ऑन और स्वीच ऑफ भी कर सकते हैं। एटीएम का इस्तेमाल करने के बाद उसे स्वीच ऑफ करने से ये फायदा होगा, कि एटीएम इस्तेमाल के दौरान क्लोनिंग हो गई हो तो भी स्वीच ऑफ होने से उसका दुरुपयोग नहीं हो सकेगा। किसी भी ग्राहक के साथ बैंक की सिक्योरिटी में कमी के कारण ठगी हो जाती है, तो बैंक अपनी जिम्मेदारी समझते हुए रकम वापिस करने का भार वहन करता है।
गिरीश तिवारी, लीड बैंक ऑफिसर
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