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छतरपुर

शिव आराधना में मुग्ध हुए दर्शक, इस समारोह में जुटे दिग्गज कलाकार

नागेंद्रहाराय…बोल पर आधारित शिव पंचाक्षर स्तोत्रम की प्रस्तुति हुई

छतरपुरFeb 22, 2018 / 02:06 pm

दीपक राय

Dance Kathak triangle, Shiva Panchkrath Stotram,Khajuraho Dance Festiv

Dance Kathak triangle, Shiva Panchkrath Stotram,Khajuraho Dance Festiv

रफी अहमद सिद्दीकी
छतरपुर/खजुराहो। खजुराहो नृत्य समारोह की दूसरी शाम भरतनाट्यम व कथक तिहाई के नाम रही। सुर, लय ताल पर नत्यांगनाओं ने मुक्ताकाशी मंच पर जब अपनी प्रस्तुतियां दीं तो आयोजन स्थल तालियों की गडग़ड़ाहट से गूंज उठा। वाद्य यंत्रों की ध्वनि के साथ सुर, लय और ताल देह में विलीन हो गए। पद्मिनी दुरैराजन, माया श्याम सुंदर व हेमा थरुण की प्रस्तुति में भरतनाट्यम का अनूठा संगम देखने को मिला। तो वहीं गौरी शर्मा, नंदिनी शर्मा, कंचन कांडपाल के कथक की त्रिवेणी की प्रस्तुति में एकता, शक्ति और मित्रता की खोज देखने को मिली।
बुधवार को खजुराहो डांस फेस्टिवल का आगाज कलांजलि चेन्नई की पद्मिनी दुरैराजन, माया श्याम सुंदर व हेमा थरुण की भरतनाट्यम की प्रस्तुति से हुआ। भाव, राग और ताल की प्रधानता प्रमुख इस विधा का तीनों कलाकारों ने बेहद सधी हुई भाव-भंगिमाओं के साथ प्रदर्शन किया। कलाई का घुमाव, सांसों पर नियंत्रण देखने लायक था। इन कलाकारों द्वारा भारतनाट्यम की प्रस्तुति में सर्वप्रथम पुष्पांजलि की प्रस्तुति दी गई। आकार्षक नृत्य के साथ भगवान शिव जी को पुष्प अर्पित किए गए। जिससे माहौल पूरी तरह भक्तिमय हो गया। इसके बाद नागेंद्रहाराय… बोल पर आधारित शिव पंचाक्षर स्तोत्रम की प्रस्तुति हुई। इस प्रस्तुति में जब शिव तांडव का नृत्य शुरू हुआ तो पद्मिनी दुरैराजन, माया श्याम सुंदर के कदमताल पूरी तरह शास्त्रीय संगीत में डूब चुके थे। इन्हीं कलाकारों ने मुक्ताकाशी पर आंडाल पर आधारित नृत्य पेश कर सभी मंत्रमुग्ध कर दिया। इस नृत्य में नृत्यांगना भगवान कृष्ण से प्रेम करती है। एक दिन उसको सपना आता है कि उसका भगवान कृष्णा से हो रहा है तो वह नृत्य के जरिए विवाह की तैयारियों को प्रस्तुत करती है। इस नृत्य में साउथ इंडियन विवाह का पूरा वर्णन किया गय। वहीं चौथी प्रस्तुति शक्ति पर आधारित रही। मां पार्वती जी के सौंदर्य एवं गुणों का वर्णन नृत्य के द्वारा किया गया। पद्मिनी दुरैराजन, माया श्याम सुंदर व हेमा थरुण की एक अन्य प्रस्तुति रूसली राधा रुसला माधव…. पर प्रस्तुति दी गई। जिसमें राधा और कृष्ण का एक दूसरे से रूठना और मनाना चलता है। नृत्य के द्वारा प्रस्तुत यह भरतनाट्यम देशी-विदेशी दर्शकों को खासा भाया। इसमें बताया गया कि गोकुलवासी राधा कृष्ण के बीच हुए झगड़े से बहुत उदास हो जाते हैं, चिडिय़ा चहकना बंद कर देती हैं, फूलों से भंवरे उड़ जाते हैं और गाय घास चरना छोड़ देती हैं। इस प्रस्तुति के अंत में ध्वनि की तक धिन से इस नृत्य में कृष्ण जी राधा को मनाते हैं और दोनों का मिलन होता है जिससे सारे गोकुलवासी झूम-झूमकर नाचते हैं।
एक खोज है एकता की, शक्ति की और मित्रता की
इसके बाद मुक्ताकाशी मंच पर गौरी शर्मा, नंदिनी शर्मा, कंचन कांडपाल नई दिल्ली की कथक तिहाई की प्रस्तुति शुरू हुई। यह प्रस्तुति कथक त्रिकोण पर आधारित रही। इस में बताया गया कि एक खोज है एकता की, शक्ति की और मित्रता की। इन तीन बिंदुओं का समंवय नृत्य के माध्यम से दर्शाया गया। इस प्रस्तुति में नृत्यांगनाएं नृत्य के माध्यम से परमानंद की अनुभूति प्राप्त करने की यात्रा पर चलायमान है और प्रस्तुति में बताती हैं कि इससे सिद्ध होता है नृत्य केवल कला नहीं, है स्वयं परमात्मा। करीब आधा घंटे तक चली एक प्रस्तुतिं में गौरी शर्मा, नंदिनी शर्मा, कंचन कांडपाल ने शास्त्रीय संगीत के साथ सभी का दिल जीत लिया। आयोजन स्थल तालियों की गडग़ड़ाहट से गूंज उठा।

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