उत्तरदायी शासन के कुछ महीने बाद विन्ध्यप्रदेश राज्य का गठन हुआ, जिसमें कामना प्रसाद सक्सेना प्रधानमंत्री, पंडित रामसहाय तिवारी वित्त मंत्री और पं. लालाराम वाजपेयी गृहमंत्री और गोपाल शरण सिंह लोकनिर्माण मंत्री बनाए गए। नौगांव को इसकी राजधानी बनाया गया था। यह मंत्रीमंडल केवल बुंदेलखंड के 35 राज्यों को शामिल करके बनाया गया, क्योंकि रीवा राज्य तबतक विन्ध्यप्रदेश में शामिल नहीं हुआ था। लेकिन कुछ समय बाद रीवा राज्य विन्ध्यप्रदेश में शामिल होने के लिए तैयार हो गया। इसके बाद नए विन्ध्यप्रदेश की सीमाओं का निर्धारण हुआ और राजधानी नौगांव की जगह रीवा को बनाया गया। नए विन्ध्यप्रदेश में अवधेश प्रताप सिंह प्रधानमंत्री बनाए गए। रीवा राजधानी बनने के बाद से 1950 तक भारतीय संविधान बनाने की प्रक्रिया चली। इस दौरान पंडित रामसहाय तिवारी को बुंदेलखंड से संविधान सभा के सदस्य के रुप में शामिल किया गया और 26 जनवरी 1950 को जब पूरे देश में संविधान लागू किया गया, तब संविधान की मूल प्रति में हस्ताक्षर करने वाले निर्माता सदस्य के रुप में पं. तिवारी ने भी हस्ताक्षर किए और भारतीय गणतंत्र लागू हुआ।
भारतीय संविधान लागू होने के साथ ही संविधान सभा परिवर्तित होकर लोकसभा के रुप में अस्तित्व में आई। संविधान सभा के सदस्य लोक सभा के सदस्य बना दिए गए। इस तरह पंडित रामसहाय 1952 में हुए पहले लोकसभा चुनाव तक लोकसभा सदस्य के रुप में काम करते रहे। 1952 में लोकसभा चुनाव हुए तो कांग्रेस ने द्विसदस्यीय निर्वाचन के तहत एक सवर्ण और एक हरिजन को अपना उम्मीदवार बनाया। पंडित रामसहाय व मोतीलाल मालवीय को खजुराहो लोकसभा से चुनाव लड़वाया गया। दोनों ही भारी बहुमत से चुनाव जीतकर 1952 से 1957 तक लोकसभा सदस्य के रुप में कार्य करते रहे। फिर 1957 और 1962 के चुनाव में भी वे जीतकर आए। इसके बाद से आजतक देश में लोकतंात्रिक तरीके से सरकार बनती और चलती आ रही हैं।
देश को आजादी मिलने के बाद पंडित जवाहर लाल नेहरु प्रधानमंत्री और सरदार बल्लभ पटेल गृहमंत्री बने। सरदार पटेल ने 565 स्टेट का विलय भारतीय लोकंतंत्र में कराया। ऐसी ही प्रक्रिया छतरपुर में भी हुई, पहला उत्तरदायी शासन वर्ष 1948 में हुुआ था, पंडित रामसहाय तिवारी मुखिया बनाए गए थे।
दुर्गा प्रसाद आर्य, अध्यक्ष गांधी आश्रम