जानकारी के अभावन में किसान अब सरकारी योजनाओं का लाभ लेने आगे नहीं आ रहे हैं। जिले में रबी 2021-2022 की फसल के लिए 70 हजार किसानों में केवल 50 फीसदी किसानों यानि 35 हजार ने ही फसल का बीमा करवाया। बाकी 35 हजार किसानों ने फसल का बीमा नहीं करवाया। जबकि ऋणि या अऋणि किसान भी कियोस्क से फसल बीमा करा सकते हैं। ऐसे में बीमा न कराने वाले किसान अतिवृष्टि या अन्य आपादा से हुए नुकसान के वाबजूद मुआवजा राशि से वंचित रह जाते हैं। क्योंकि प्रचार-प्रसार के अभाव में किसानों को जानकारी नहीं लग पाती है, वहीं दूसरी ओर ऋणि और अऋणि किसानों के लिए बीमा का ऑप्शन होने की जानकारी न होने से भी किसान बीमा नहीं करा पाते हैं।
नुकसान के वाबजूद नहीं ले पाए राहत राशि
जनवरी 2022 के दूसरे सप्ताह में छतरपुर जिले के लगभग 130 गांव में ओलावृष्टि और अतिवृष्टि से फसलों के नुकसान के सर्वे में जिले में 11583 किसानों को नुकसान पाया गया। लेकिन फसल बीमा न होने के चलते केवल 500 किसानों को ही मुआवजा के लिए पात्र माना गया है। जबकि 9 तहसील क्षेत्रों में मौजूद 130 ग्रामों को ओलावृष्टि और अतिवृष्टि से हुए नुकसान के आधार पर चिन्हित किया गया था। इन 130 ग्रामों की 18570 हेक्टेयर जमीन पर ओलावृष्टि और अतिवृष्टि का दुष्प्रभाव पड़ा था। सर्वे में बताया गया है कि सबसे ज्यादा नुकसान छतरपुर तहसील क्षेत्र की 5060 हेक्टेयर जमीन के 4250 किसानों को हुआ है। इसके बाद दूसरा बड़ा नुकसान महाराजपुर ब्लाक के 24 गांव में 3097 हेक्टेयर जमीन पर खेती करने वाले 2023 किसानों की फसलों का नुकसान पाया गया। लेीिकन बीमा न होने से किसानों को लाभ नहीं मिला।
सभी किसान करा सकते हैं बीमा
ऋणी और गैर-ऋण वाले दोनों किसानों को राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल में नामांकित किया जाना है। किसानों को मौसमी फसल ऋण देने वाले बैंक पोर्टल में डेटा अपलोड करने के लिए जिम्मेदार हैं। गैर-कर्जदार किसानों, बिचौलियों, आम सेवा केंद्रों के मामले में, किसानों को अपनी और अन्य एजेंसियों पर नेशनल पोर्टल में डेटा अपलोड करने के साथ-साथ 4 दस्तावेज़ों को भी अपलोड करना है। एनईएफटी के माध्यम से प्रीमियम का भुगतान किया जाता है।