जिला अस्पताल में मेडिकल बोर्ड द्वारा मानशिक रोगियों के प्रमाण-पत्र नहीं बनाए जा रहे हैं। इसके लिए कुछ दिनों पहले जिला अïस्पताल से डॉ. हिमाक्षी चतुर्वेदी को १५ दिन की मानशिक रोगियों से सम्बंधित टै्रनिंग दिलाई गई थी। जिससे अस्पताल आने वाले मरीजों को इलाज किया जा सके। वहीं जिला अस्पताल में मानशिक रोग से संबंधित कोई डॉक्टर नहीं होने से प्रमाण-पत्र नहीं बनाए जा रहे हैं। इसको लेकर योगा प्रशिक्षक रामकृपाल यादव ने बताया कि उनका पुत्र मंदबुद्धि हैं जिसके वह जिला अस्पताल में मेडिकल प्रमाण पत्र बनवाने के लिए काफी दिनों से चक्कर लगा रहे हैं। लेकिन मेडिकल बोर्ड द्वारा प्रमाण-पत्र नहीं बनाया जा रहा है। जिससे वह काफी परेशान हैं। वहीं शहर के रहने वाले मुनीर ने बताया कि उसकी पुत्री भी मंदबुद्धि हैं उसके लिए वह करीब एक वर्ष से अधिक समय से परेशान हैं। उन्होंने बताया कि प्रमाण-पत्र नहीं होने से उन्हें किसी भी शासकीय योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
मानशिक रोगियों की सेवा करने वाले एडवोकेट डॉ. संजय शर्मा द्वारा मानशिक रोगियों के प्रमाण पत्र जिला अस्पताल में बनवाएं जाने के लिए सीएमएचओ को पत्र लिखा था और अधिकारियों से मुलाकात कर मरीजों के प्रमाण पत्र बनाए जाने के लिए कहा था। लेकिन इसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग द्वारा अभी तक कोई व्यवस्था नहीं की गई है।
इनका कहना है
जिला अस्पताल द्वारा मुझे ग्वालियर में इसके लिए १५ दिन की ट्रैनिंग दिलाई गई थी। जिसपर वह जिला अस्पताल में आने वाले मानशिक, मनोरोग आदि से सम्बंधित मरीजों को इलाज दे रहीं हैं और जो भी मरीज गंभीर स्थिति में होते हैं उसे रेफर कर दिया जाता है। वह मेडिकल बोर्ड में शामिल नहीं हैं।
डॉ. हिमाक्षी चतुर्वेदी
जिला अस्पताल में मानशिक रोग सहित कई बीमारियों से सम्बंधित डॉक्टर नहीं हैं जिससे प्रमाण-पत्र बनाने के लिए बीमारी को प्रमाणित नहीं सकते हैं। इसलिए कई श्रेणियों के दिव्यांगों के प्रमाण-पत्र नहीं बन पा रहे हैं। हालाकि इसके लिए तो भी डॉक्टर नहीं हैं तो उससे सम्बंधित मरीजों को मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर कर दिया जाता है। जहां से जांच होने के बाद प्रमाण-पत्र बनाए जाते हैं। पहले जिला अस्पताल में मंदता (दिमाग कमजोर) के बनाए जाते थे। लेकिन डॉ. नीरज पाठक और डॉ. शिवम दीक्षित ने नौकरी छोड़ दी। जिससे वह भी नहीं बन पा रहे हैं।वहीं डॉ. हिमाक्षी चतुर्वेदी ने को मन: क्लीनिक (मेंटल हैल्थ) के लिए ट्रैनिंग दिलाई गई थी।
डॉ. आरएस त्रिपाठी, सिविल सर्जन, जिला अस्पताल छतरपुर
इसके लिए पत्र मिला था, हमाारी ओर से जल्द ही एमडी डॉक्टर को ट्रैनिंग के लिए भेजा जाएगा। जिससे ऐसे मरीजों के प्रमाण-पत्र बन सके।
डॉ. विजय पथौरिया, सीएमएचओ, छतरपुर