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छतरपुर

स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से मानशिक रोगियों के नहीं बन रहे प्रमाण पत्र

– शासन द्वारा तय की गई नई श्रेणियों में से कई श्रेणियों के नहीं बन रहे मेडिकल प्रमाण-पत्र
 

छतरपुरOct 13, 2019 / 11:05 pm

Unnat Pachauri

स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से मानशिक रोगियों के नहीं बन रहे प्रमाण पत्र

स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से मानशिक रोगियों के नहीं बन रहे प्रमाण पत्र

छतरपुर। जिला अस्पताल में सप्ताह के प्रत्येक मंगलवार को दिव्यांगों के प्रमाण पत्र बनाने के लिए मेडिकल बोर्ड बैठता है। जहां पर दूरदराज से आने वाले हितग्राही प्रमाण पत्र पाने के लिए परेशान होते हैं। लेकिन यहां पर कई श्रेणियों के प्रमाण पत्र अभी भी नहीं बनाए जा रहे है है। जबकि इसके लिए जिला अस्पताल के डॉक्टर को संबंधित ट्रैनिंग भी दिलाई गई है। फिर भी मेडिकल बोर्ड और सिविल सर्जन की लापरवाही के कारण कई श्रेणी के दिव्यांगों को आज भी भटकना पड़ रहा है। केन्द्र सरकार द्वारा तय की गईं नवीन श्रेणियों के दिव्यांगों के प्रमाण पत्र जिला अस्पताल नहीं बनाए जा रहे हैं। शासन द्वारा नए आदेश में 21 प्रकार की श्रेणियां दिव्यांगों की बनाई गई हैं। इसके बावजूद जिला विकलांग पुनर्वास केंद्रों पर प्रमाण पत्र नहीं बनाए जाने के कारण दूरदराज से आने वाले दिव्यांगों को परेशान होना पड़ रहा है। प्रमाण पत्र नहीं बनाए जाने के कारण दिव्यांगों को शासन की योजनाओं के लाभ से वंचित हो रहे हैं। इसके लिए दिव्यांगजन कार्यालयों के चक्कर काटने को मजबूर हैं। जिला अस्पताल में अधिकारियों द्वारा दिव्यांगों को आश्वासन देकर टरका दिया जाता है। प्रमाण-पत्र बनवाने के लिए भटकने वाले दिव्यांगजनों की समस्याओं का निराकरण प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा भी नहीं किया जा रहा है। जानकारी के अनुसार 2016 से पहले दिव्यांगों की केवल पांच प्रकार की श्रेणियां थीं। जिससे सभी प्रकार के दिव्यांगों को शासन की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता था। केंद्र सरकार द्वारा 2016 के बाद दिव्यांगों की 21 प्रकार की श्रेणियां तय कर दी गई हैं। इन श्रेणियों के दिव्यांगों को योजनाओं का लाभ दिलाए जाने के लिए केंद्रीय सामाजिक न्याय अधिकार मंत्रालय द्वारा सभी राज्यों को नोटिफिकेशन जारी किया गया था। लेकिन जिला अस्पताल में मेडिकल बोर्ड की निश्क्रियता के कारण हर जिले में विकलांग पुनर्वास केंद्रों पर आदेश प्राप्त होने के बाद भी सभी श्रेणियों के दिव्यांगों को शासन की योजनाओं का लाभ नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में प्रमाण पत्र बनवाने के लिए आने वाले नवीन श्रेणियों के दिव्यांगजनों को आर्थिक, मानसिक एवं शारीरिक रूप से परेशान होना पड़ता है।
मानशिक रोगियों के नहीं बनाएं जा रहे प्रमाण-पत्र
जिला अस्पताल में मेडिकल बोर्ड द्वारा मानशिक रोगियों के प्रमाण-पत्र नहीं बनाए जा रहे हैं। इसके लिए कुछ दिनों पहले जिला अïस्पताल से डॉ. हिमाक्षी चतुर्वेदी को १५ दिन की मानशिक रोगियों से सम्बंधित टै्रनिंग दिलाई गई थी। जिससे अस्पताल आने वाले मरीजों को इलाज किया जा सके। वहीं जिला अस्पताल में मानशिक रोग से संबंधित कोई डॉक्टर नहीं होने से प्रमाण-पत्र नहीं बनाए जा रहे हैं। इसको लेकर योगा प्रशिक्षक रामकृपाल यादव ने बताया कि उनका पुत्र मंदबुद्धि हैं जिसके वह जिला अस्पताल में मेडिकल प्रमाण पत्र बनवाने के लिए काफी दिनों से चक्कर लगा रहे हैं। लेकिन मेडिकल बोर्ड द्वारा प्रमाण-पत्र नहीं बनाया जा रहा है। जिससे वह काफी परेशान हैं। वहीं शहर के रहने वाले मुनीर ने बताया कि उसकी पुत्री भी मंदबुद्धि हैं उसके लिए वह करीब एक वर्ष से अधिक समय से परेशान हैं। उन्होंने बताया कि प्रमाण-पत्र नहीं होने से उन्हें किसी भी शासकीय योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
संजय शर्मा ने दिया था आवेदन
मानशिक रोगियों की सेवा करने वाले एडवोकेट डॉ. संजय शर्मा द्वारा मानशिक रोगियों के प्रमाण पत्र जिला अस्पताल में बनवाएं जाने के लिए सीएमएचओ को पत्र लिखा था और अधिकारियों से मुलाकात कर मरीजों के प्रमाण पत्र बनाए जाने के लिए कहा था। लेकिन इसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग द्वारा अभी तक कोई व्यवस्था नहीं की गई है।

इनका कहना है
जिला अस्पताल द्वारा मुझे ग्वालियर में इसके लिए १५ दिन की ट्रैनिंग दिलाई गई थी। जिसपर वह जिला अस्पताल में आने वाले मानशिक, मनोरोग आदि से सम्बंधित मरीजों को इलाज दे रहीं हैं और जो भी मरीज गंभीर स्थिति में होते हैं उसे रेफर कर दिया जाता है। वह मेडिकल बोर्ड में शामिल नहीं हैं।
डॉ. हिमाक्षी चतुर्वेदी
इनका कहना है
जिला अस्पताल में मानशिक रोग सहित कई बीमारियों से सम्बंधित डॉक्टर नहीं हैं जिससे प्रमाण-पत्र बनाने के लिए बीमारी को प्रमाणित नहीं सकते हैं। इसलिए कई श्रेणियों के दिव्यांगों के प्रमाण-पत्र नहीं बन पा रहे हैं। हालाकि इसके लिए तो भी डॉक्टर नहीं हैं तो उससे सम्बंधित मरीजों को मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर कर दिया जाता है। जहां से जांच होने के बाद प्रमाण-पत्र बनाए जाते हैं। पहले जिला अस्पताल में मंदता (दिमाग कमजोर) के बनाए जाते थे। लेकिन डॉ. नीरज पाठक और डॉ. शिवम दीक्षित ने नौकरी छोड़ दी। जिससे वह भी नहीं बन पा रहे हैं।वहीं डॉ. हिमाक्षी चतुर्वेदी ने को मन: क्लीनिक (मेंटल हैल्थ) के लिए ट्रैनिंग दिलाई गई थी।
डॉ. आरएस त्रिपाठी, सिविल सर्जन, जिला अस्पताल छतरपुर
इनका कहना है
इसके लिए पत्र मिला था, हमाारी ओर से जल्द ही एमडी डॉक्टर को ट्रैनिंग के लिए भेजा जाएगा। जिससे ऐसे मरीजों के प्रमाण-पत्र बन सके।
डॉ. विजय पथौरिया, सीएमएचओ, छतरपुर

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