दिखी गंगा जमुनी तहजीब
अलसुबह बच्चों को सजाने-संवारने के बाद लोगों ने पारंपरिक कुर्ता-पैजामा पहना, सर पर टोपी व कपड़े पर इत्र लगाया और ईदगाहों और मस्जिदों की ओर चल पड़े। आठ बजते-बजते सभी ईदगाहों और मस्जिदों पर खासी भीड़ हो गई। नमाज शुरू होने के करीब आधा घंटा पहले ही ईदगाह नमाजियों से भर चुकी थी। सुबह 8.30 बजे से नई ईदगाह में नमाज पढ़ी गई। आलम यह था कि जितने लोग ईदगाह के अंदर से उतने ही बाहर भी नजर आ रहे थे। इस दौरान गंगा जमुनी तहजीब भी देखने को मिली, ईदगाह के बाहर हिन्दूओं ने मुस्लिम भाइयो से गले मिलकर ईद की मुबारक बाद दी।
अलसुबह बच्चों को सजाने-संवारने के बाद लोगों ने पारंपरिक कुर्ता-पैजामा पहना, सर पर टोपी व कपड़े पर इत्र लगाया और ईदगाहों और मस्जिदों की ओर चल पड़े। आठ बजते-बजते सभी ईदगाहों और मस्जिदों पर खासी भीड़ हो गई। नमाज शुरू होने के करीब आधा घंटा पहले ही ईदगाह नमाजियों से भर चुकी थी। सुबह 8.30 बजे से नई ईदगाह में नमाज पढ़ी गई। आलम यह था कि जितने लोग ईदगाह के अंदर से उतने ही बाहर भी नजर आ रहे थे। इस दौरान गंगा जमुनी तहजीब भी देखने को मिली, ईदगाह के बाहर हिन्दूओं ने मुस्लिम भाइयो से गले मिलकर ईद की मुबारक बाद दी।
गूंज उठा मुबारकबाद
तय वक्त पर नमाज अता की गई। मुल्क में अमन एवं तरक्की की दुआ मांगी गई। नई ईदगाह में नमाज खत्म होते ही मुबारकबाद की गूंज सुनाई पडऩे लगी। बड़ों की देखा-देखी बच्चों ने भी गले मिलकर एक-दूसरे को ईद की बधाई दी। ईदगाहों के बाहर मेले जैसा माहौल था। बच्चों ने खूब मस्ती भी की। नमाज के बाद खुदा का फैज लेकर लोग घर वापस लौटे और शुरू हुआ मेहमाननवाजी का दौर। लजीज व्यंजनों का सभी ने खूब लुत्फ उठाया। लोग एक-दूसरे के घर जाते रहे और मुबारकबाद और मेहमानवाजी का सिलसिला दिन भर चलता रहा।
तय वक्त पर नमाज अता की गई। मुल्क में अमन एवं तरक्की की दुआ मांगी गई। नई ईदगाह में नमाज खत्म होते ही मुबारकबाद की गूंज सुनाई पडऩे लगी। बड़ों की देखा-देखी बच्चों ने भी गले मिलकर एक-दूसरे को ईद की बधाई दी। ईदगाहों के बाहर मेले जैसा माहौल था। बच्चों ने खूब मस्ती भी की। नमाज के बाद खुदा का फैज लेकर लोग घर वापस लौटे और शुरू हुआ मेहमाननवाजी का दौर। लजीज व्यंजनों का सभी ने खूब लुत्फ उठाया। लोग एक-दूसरे के घर जाते रहे और मुबारकबाद और मेहमानवाजी का सिलसिला दिन भर चलता रहा।