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छतरपुर

महिला शिक्षक ने भीख मांगने वाले बच्चों को स्कूल से जोड़ा, फैला रही शिक्षा का उजियारा

अपनी टीम के साथ विशेष प्रयासों से न केवल स्कूल दशा-दिशा बदल दी। बल्कि पास की अर्धधुमक्कड़ जाति की बस्ती में रहने वाले बच्चों को शिक्षा से जोडक़र उनके जीवन में शिक्षा का उजियारा कर रही हैं।

छतरपुरJun 06, 2024 / 10:25 am

Dharmendra Singh

cm rise school

सीएम राइज प्राथमिक विद्यालय कुंभगढ़

छतरपुर. सीएम राइज स्कूल से जुड़ते ही गठेवरा गांव के कुंभगढ़ प्राथमिक शाला में एक बड़ा परिवर्तन आया है। शहर के बाहर स्थिति इस स्कूल को सीएम राइज स्कूल में शामिल किया गया है, जहां प्राथमिक कक्षा के बच्चे पढ़ रहे हैं। संगीता जैन प्रभारी प्रधानाध्यापक बनी तो उन्होंने अपनी टीम के साथ विशेष प्रयासों से न केवल स्कूल दशा-दिशा बदल दी। बल्कि पास की अर्धधुमक्कड़ जाति की बस्ती में रहने वाले बच्चों को शिक्षा से जोडक़र उनके जीवन में शिक्षा का उजियारा कर रही हैं।

माता पिता को समझाकर लाया परिवर्तन


स्कूल के पास अर्धधुमक्कड़ जाति की बस्ती है। ज्यादातर लोग निरक्षर और उनके बच्चे भी स्कूल नहीं जाते हैं। बस्ती के दस बच्चे पहले भीख मांगते थे। उनके माता-पिता आज भी यही काम करते हैं। यह बात संगीता जैन को पता चली तो उन्होंने बच्चों के घर जाना शुरू किया। कई दिनों तक मैडम उनके घर जाती, मगर ताला लटका मिलता, चूंकि यह लोग सुबह से ही भीख मांगने निकल जाते थे। बड़ी मशक्कत के बाद मैडम का इन बच्चों के माता-पिता से संपर्क हो पाया। शिक्षिका जैन ने परिवार में सभी लोगों से बातचीत की शिक्षा का महत्व बताया, तब कहीं जाकर इन बच्चों ने एडमिशन कराया। बच्चों के अभिभावक भी शिक्षकों की प्रेरणा के चलते अब बच्चों की पढ़ाई को लेकर जागरुक हुए हैं।

2013 से है स्कूल 23 में हुआ बदलाव


स्कूल की स्थापना के समय सरकारी रिकॉर्ड में 60 बच्चे दर्ज थे, जिसमें से ज्यादातर बच्चे स्कूल नहीं आते थे। जो आते भी तो रोजाना नहीं आते। लेकिन अब 103 बच्चे स्कूल आ रहे हैं। स्कूल की नई टीम आने के बाद स्कूल के माहौल को पढ़ाई के अनुकूल बनाने में टीम को 8 महीने लगे, लेकिन अब स्कूल का माहौल बच्चों के अनूकूल बन गया है। जिससे बच्चों में स्कूल आने को लेकर रुचि जागी है। बच्चों के माता-पिता से हर महीने स्कूल के शिक्षक संपर्क करते और उन्हें बच्चों की पढ़ाई के प्रति प्रेरित करते रहते हैं। इसका ये नतीजा निकला कि बच्चों के अभिभावक पढ़ाई के प्रति जागरुक हुए हैं। संगीता का कहना है कि कोई भी बच्चा कुछ दिन स्कूल न आए तो हम परिवार वालों से मिलकर उन्हें प्रेरित करते हैं। वहीं, स्कूल आने वाले बच्चों का शिक्षक रोजाना वेलकम करते हैं। इससे बच्चे भी उत्साहित हैं। इन्ही सब प्रयासों के चलते अब स्कूल व आसपास का माहौल बेहतर हो गया है। इन प्रयासों में स्कूल के शिक्षक सुरेश कुमार अवस्थी, मलखान कुशवाहा और गीता पवैया का विशेष योगदान रहा है।

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