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छतरपुर

ई रिक्शा को लेकर शासन द्वारा नहीं दिया जा रहा अनुदान, न बैंक से मिल रहा लोन

– जो मिलता था वह भी किया बंद, पेट्रोल-डीजल से चलने वाले ऑटो के मुकाबले न के बराबर हैं जिले में ई रिक्शा

छतरपुरJul 15, 2019 / 10:30 pm

Unnat Pachauri

ई रिक्शा को लेकर शासन द्वारा नहीं दिया जा रहा अनुदान, न बैंक से मिल रहा लोन

ई रिक्शा को लेकर शासन द्वारा नहीं दिया जा रहा अनुदान, न बैंक से मिल रहा लोन

छतरपुर। प्रदेश सरकार से लेकर जिला प्रशासन शहर को प्रदूषण मुक्त बनाने के दावे कर रही है। शहर से धुआं छोडऩे वाले ऑटो को हटाकर ज्यादा से ज्यादा स्थानों पर ई-रिक्शा चलाए जाने की बात कही जाती है। लेकिन धरातल में इसके लिए कोई भी कार्य नहीं किए जा रहे है। जिससे आने वाले दिनों प्रदूषण की अधिकता से लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पडेगा। इसके बाद प्रशासन द्वारा प्रदूषण मुक्त शहर बनाने की कवायत शुरू की जाएगी। जिले में बढ़ रहे प्रदूषण को देखते हुए लोगों का झुकाव ई रिक्सा की ओर होने लगा है। लेकिन सरकार द्वारा सहयोग नहीं किए जाने के कारण लोग ई रिक्सा नहीं ले पा रहे हैं। ऑटो और ई रिक्सा चालकों का कहना है कि ऑटो खरीइने के लिए किसी भी बैंक द्वारा आसानी से ऋण दिया जा रहा है। लेकिन ई रिक्सा के नाम पर कोई भी बैंक लोल देने के लिए तैयार नहीं है और न ही सरकार द्वारा किसी भी योजना के तहत अनुदान दिया जा रहा है। जिससे उन्हें अपने परिवार को पालने के लिए ई रिक्सा के स्थान पर ऑटो खरीदनी पड रही है। जिले के कई लोगों ने मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत खरीदे जाने वाले ई-रिक्शा से 15-30 फीसदी सब्सिडी शासन की ओर से दी जाती थी, के लिए आवेदन किए हैं। लेकिन अब प्रदेश सरकार ने इन वाहनों पर सब्सिडी देना बंद कर योजना से आवेदकों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। परिवारिक जिम्मेदारियों को निभाने और रोजगार को सुव्यवस्थित करने के लिए हर महीने ई-रिक्शा खरीदी के लिए ५ से १० आवेदन जिला उद्योग केंद्र पहुंच रहे हैं। पिछले दो महीने में जिला उद्योग केंद्र में आने वाले ई-रिक्शा के १० से अधिक आवेदन पेंडिंग हैं। इन आवेदनों को अब फेल किया जाने लगा है। इसके पीछे कारण यह है कि मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत कमर्शियल वाहनों को दी जाने वाली छूट सरकार ने बंद कर दी है। ऐसी स्थिति में जिन आवेदकों ने ई-रिक्शा चलाकर परिवार की गाड़ी चलाने की उम्मीद जगाई थीं। अब उनकी उम्मीद पर पानी फिरने लगा है।
डेढ़ लाख से दो लाख में मिल रहे ई-रिक्सा
जिले में ई रिक्सा की हाल में चार एंजेंसियां हैं जहां पर प्रतिमाह दो-तीन ई रिक्सा ही बिक रहे हैं। इनकी कम बिक्री होने के चलते कई एजेंसियां बंद भी हो चुकीं है। एजेंसी संचालकों का कहना है कि अधिकांश सामान्य तबके के लोग ही सवारियां ढोकर परिवार की गुजर-बसर हर रहें हैं। ऐसे में लोगों के पास एक मुश्त डेढ़ दो लाख रुपए नहीं दे सकते हैं। जिससे उन्हें सरकारी द्वार मदद या फिर बैंक द्वारा लोन की जरूरत होती है। लेकिन न तो सरकार द्वारा उनका कोई मदद की जा रही है और न ही बैंक लोन देने को तैयार है ऐसे में लोगों को झुकाव ऑटो की ओर हो जाता है।
८० से १२० किलो मीटर चलती है गाडी
जिले में चलने वाले ई रिक्सा में कंपनी द्वारा एक बार चार्ज करने पर १५०-१६० किलोमीटर चलने की बात कही जाती है, लेकिन असलियत में यह ८० से लेकर १२० किलोमीटर का एवरेज दे रहे हैं। ई रिक्सा चालक ओमप्रकास ने बताया कि वह करीब तीन साल से ई रिक्सा चला रहे हैं। कंपनी द्वारा तो बैटरी डालकर दी थी वह काफी घटिया क्वालिटी की भी जिसमें न तो सही एवरेज मिल रहा था और न ही अधिक लोड ले पा रही थी। जिसके बाद उन्होंने उसकी चारों बैटरी नई डलवा दीं। जिसके बाद से एक बार की चार्जिंग में करीब १२० किलोमीटर से अधिक का एवरेज मिल रहा है।
ई रिक्सा में है कम मैंटीनेंस
ऑटो के मुकाबले ई रिक्सा में काफी कम मैंटीनेंस कराना पडता है, ई रिक्सा में हर एक से डेढ वर्ष में उसकी बैठरी बदलवानी पडती हैं। इसके अलावा नाम मात्र का मैंटीनेंस कराना पडता है और ई रिक्सा से प्रतिदिन ५००, ७०० से लेकर १ हजार तक लोग कमा रहे हैं।
इनका कहना है
फिलहार जिले में ई रिक्सा के लिए ऐसी कोई योजना नहीं हैं, जिसमें लोगों को अनुदान मिल सके। अगर आने वाले दिनों में इस तरह की कोई योजना आती है तो लोगों को लाभ दिया जाएगा।
नीकेश भिडे, महाप्रबंधक, उद्योग विभाग, छतरपुर

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