बिजली वितरण कंपनियों द्वारा बारिश को लेकर किसी प्रकार की तैयारी नहीं की गई। शहर में अभी भी अधिकांस स्थानों में तार जर्जर हाल में हैं और कई स्थानों में जमीन को छू रहे हैं, जहां पर थोडी सी ही बारिश में फाल्ट हो जाते हैं और उस लाइन के लोगों को घ्ंाटों परेसान होना पड़ता है। विभाग द्वारा बारिश के दौरान होने वाली परेशानी से निपटने की तैयारी न करने का नतीजा शहर के लोगों को भुगतना पड़ता है। शहर में मकडज़ाले के तरह बिजली के तारों का झुंड लगा है। जिससे पानी पडऩे से फाल्ट होने की समस्या आम बात है। कई बाद बारिश के दौरान बडा फाल्ट होने से केबिलें टूटकर गिर जाती ळें जिससे वहां से गुजरने वालों के साथ बडा हादशा होने का डर बना रहता है। यह हाल शहर के किसी एक स्थान का नहीं है बल्कि पूरे शहर का है। बीती करीब १८ दिन पहले शहर में आंधी और बारिश होने से देरी रोड, सागर रोड, पन्ना नाका, महोबा रोड, पठापुर रोड के पास सहित कई क्षेत्रों की लाइन टूट कर जमीन में बिछ गई थी।
बारिश में वन्यप्राणियों के रेस्क्यू के लिए वन विभाग के इंतजाम नाकाफी हैं। विभाग के पास रेस्क्यू वाहन उपलब्ध नहीं है। हालाकि रेस्क्यू टीम में मगरमच्छ, सांप और बंदरों को पकडने के लिए एक्सपर्ट मौजूद हैं। डीएफओ अनुपम सहाय ने बताया कि जल्द ही रेस्क्यू के संसाधन जुटाए जा रहे। कुछ तैयारियों विभाग द्वारा कर ली गई हैं। उन्होंने बताया कि जिले की सभी ६ रैंजों में रेस्क्यू टीम बनाई गई हैं।
बारिश को लेकर जिला प्रशासन की तैयारी अभी भी अधूरी है। अभी तक केवल होमगार्ड मुख्यालय में कंट्रोल रूम तैयार किया गया है। बाढ़ से बचने और जल भराव वाले गांवों के लोगों को किसी तरह का प्रशिक्षण नहीं दिया गया है। जिले के पर्यटन स्थलों खजुराहो, रनेफॉल, धुबेला आदि स्थानों पर चेतावनी बोर्ड भी नहीं लगाए गए हैं। जिले में पूर्व में बारिश से जलस्तर बढने से कई हादसे हो चुके हैं। एसएलआर आदित्य सोनकिया ने बताया कि आपदा प्रबंधन के लिए कलेक्ट्रट में एक कंट्रोल रूम की स्थापना की गई है। हालाकि कंट्रोल रूम के नम्बर पर कई कॉल करने पर भी किसी के द्वारा फोन नहीं अटेंड किया गया।
आपदा प्रबंधन के लिए नगर पालिका परिषद द्वारा अभी तक तैयारियों नहीं की गई। जल भराव वाले क्षेत्रों में अभी तक सफाई नहीं कराई गई। शहर में अधिकांस क्षेत्रों में नाली और नाले अभी भी कचरे से पटे हुए हैं ऐसे में शहर में जलभराव की समस्या होना आम बात है।
हाईवे और पीड्ब्लूडी विभाग ने बारिश को देखते हुए भी कोई इंतजाम नहीं किए है। बारिश के आने वाली आंधी से कई स्थानों में पेड़ टूटकर गिर जाते हैं। जिनको हटाने की जिम्मेदारी हाईवे और पीड्ब्लूडी विभाग की होती है। लेकिन दोनों विभाग इस जिम्मेदारी से मुंह मोड़ रही है। इन दोनों विभागों बारिश के मौषम को देखते हुए कोई प्रबंध नहीं किए जिससे हाईवे और सड़कों पर आंधी पानी से गिरने वाले पेड़ों को गांवों और पास के लोगों को हटाना पड़ता है। हाईवे विभाग के एसडीओ जेएस चौहान ने बताया कि उनके यहां अभी तक बारिश के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है। उन्होंने बताया कि हाईवे पर गिरने वाले पेड़ों को ग्रामीणों द्वारा वहां से हटाया जाता है। इसके एवज में लकड़ी गांव के लोगों ही ले जाते हैं।
जिला होमगार्ड कमांडेंट करण सिंह ने बताया कि उन्होंने बारिश के दौरान किसी भी आपदा आने पर उनकी टीम पूरी तरह से तैयार है इसके लिए जिला के पांच क्षेत्रों में अस्थाई कैम्प लगाए गए हैं। जिले के लवकुशनगर, राजनगर, ईशानगर, नौगांव, बड़ामलहरा आदि क्षेत्रों में अस्थाई कैम्प लगाकर वहां पर टीम तैनात की गई। जो क्षेत्र में किसी भी आपदा से निपटने के लिए सक्षम है। टीमों के पास बोट, आस्का लाइट, टॉच, लाइफ जैकेट, रस्सी, राफ्ट, बेल्ट आदि संसाधन से लैश हैं। इसके अलावा जिला मुख्यालय में १२-१२ सदस्यीय दो टीमें मौजूद हैं जो किसी भी चुनौती से निपटने को तैयार हैं। साथ ही एक कंट्रोल रूत भी स्थापित किया गया है तो कॉल आने पर टीम को सूचना देगा।