ग्राम पंचायत महेबा में महाराजा छत्रसाल का समाधि स्थल है। यहां पर ही अंतिम बार महाराजा छत्रसाल का महाप्रयाण हुआ था। इसी स्थल पर उनकी याद में मकबरानुमा भव्य स्मारक रियासत काल में बनाया गया है। आजादी के बाद जब यह स्थल चिन्हित हुए तो इसे राज्य पुरातत्व संग्रहालय के अधीन दे दिया गया। इन स्मारकों का संरक्षण शुरू हुआ। करीब १२ साल पहले इस स्थल का जीर्णोद्धार पुरातत्व विभाग ने कराया था। लेकिन उस समय राजस्व विभाग के लोगों ने अतिक्रमण के दायरे में आने वाले भवन नहीं हटाए, तो पुरातत्व विभाग ने अपनी सीमा के अंदर घुसे भवनों को घेरकर ही बाउंड्रीवाल बना ली थी। उधर स्मारक के चारों तरफ भवन बने हैं।
यहां स्मारक की सुरक्षा के लिए कर्मचारी जरूरी नियुक्त है, अधिकांश समय ड्यूटी में नहीं रहने से स्थानीय निवासी स्मारक के पास ही कचरा डाल देते हैं। बाउंड्रीवाल पर कपड़े सूखने डाल देते हैं। स्मारक के पास ही लकडिय़ों के ढेर लगा देते हैं। साथ ही शाम को शराबखोरी की जा रही है। महाराजा छत्रसाल के स्मारक के संरक्षण का काम लोगों ने पुरातत्व विभाग पर छोड़ दिया है। गांव के सरपंच-सचिव से लेकर जिला प्रशासन और राजस्व विभाग के अधिकारियों को इसकी कोई चिंता नहीं है।
ड्यूटी पर नहीं रहने से स्मारक का किया जा रहा दुरुपयोग
विभाग द्वारा यहां पर एक कर्मचारी की ड्यूटी लगाई गई है, लेकिन कर्मचारी के ड्यूटी पर नहीं रहने का लाभ आसपास के रहने वाले आवारा युवकों द्वारा उठाया जा रहा है और यहां पर आसामाजिक कार्य करते हैं। वहीं आसपास के लोगों द्वारा रोकने पर विवाद की स्थिति बनती है। कई बार इसकी जानकारी विभाग के अधिकारियों को दी गई लेकिन अधिकारियों द्वारा भी इस ओर ध्यान नहीं देने से आसपास सहित बाहर से आने वाले लोग अनाधिकृत कार्य करते हैं।
इनका कहना है
मैं अभी कुछ सयम पहले छतरपुर आया हूं और क्षेत्र की जानकारी एकत्र करके वहां के विकास और शौंदर्यता के लिए प्रस्ताव भेजा जाएगा। इसके बाद जल्द से जल्द महाराजा छत्रसाल के मकबरा के आसपास के अन्य स्मारकों को बेहतर बनाया जाएगा।
शुल्तान सिंह अनन्त, प्रभारी संग्रहालय पुरातत्व विभाग धुबेला