प्रश्न: कैंसर के मरीजों की संख्या बढ़ रही है या जिला स्तर पर जांच होने से मरीजों की शुरुआत में पहचान होने लगी है?
उत्तर- कैंसर के मरीज पहले भी होते थे, लेकिन तब डायग्नोसिस के अभाव में मरीज सामने नहीं आते थे। चूंकि अभी डायग्नोसिस आसानी से होने लगा है तो मरीज भी सामने आने लगे हैं। मैने स्वयं दो हजार मरीजों का डायग्नोसिस किया हं। यदि समय रहते कैंसर का पता चल जाए और उचित इलाज हो जाए तो इसके दुष्परिणाम से बचा जा सकता है। कैंसर और इसकी स्टेज का पता लगाना पूरी तरह से डायग्नोसिस पर निर्भर होता है।
प्रश्न: मानव शरीर में कितने प्रकार के कैंसर होते हैं। क्या बच्चों में भी कैंसर देखने को मिल रहा है?
उत्तर- हमारे शरीर में सौ से अधिक प्रकार का कैंसर हो सकता है और महिलाओं में कैंसर होने की आशंका अधिक होती है। वर्तमान आंकड़े भी देंखें तो जिले के 1500 एक्टिव केस में से 900 महिलाएं हैं। ऐसा नहीं है कि कैंसर सिर्फ महिला या पुरुषों को होता है, यह बच्चों को भी हो सकता है, जिसमें हम चाइल्डहुड कैंसर कहते हैं।
प्रश्न: आपने कितने छोटे बच्चे में कैंसर की बीमारी डायग्नोज किया है?
उत्तर- अपने कार्यकाल में 2 साल के बच्चे को भी कैंसर से ग्रस्त देख चुकी हूं। उस बच्चे को सॉफ्ट टिशु सार्कोमा नाम का कैंसर था। उन्होंने कहा कि ऐसे में हमें सतर्क रहने की आवश्यकता है, जरा सी लापरवाही हमें भारी पड़ सकती है। उन्होंने शरीर के किसी भी अंग में अकारण दर्द, गांठ, सूजन आदि होने पर हमें तत्काल डायग्नोसिस और एफएनएसी जांच कराना चाहिए ताकि समय पर बीमारी का पता चल सके और इसका उपचार कराकर इसके दुष्परिणामों से बचा जा सके।