भगवान शिव और माता पार्वती को फूल, अक्षत और अन्य पूजन सामग्री अर्पित की गई। के साथ पूजन किया गया सामूहिक पूजन में शामिल सीमा सुरेश आनंद और निकिता उत्कर्ष आनंद ने बताया कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पर करवा चौथ पर्व मनाया जाता है। यह पर्व सुहागिन महिलाओं के जीवन में खुशियां लेकर आता है। महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। दिनभर निर्जल उपवास के बाद शाम को चंद्रमा की पूजा करने बाद व्रत का पारण होता है। करवा चौथ के दिन पूजा का महत्व बहुत अधिक होता है। ऐसी मान्यता है कि जो सुहागन स्त्री करवा चौथ का निर्जला व्रत करती हैं और व्रत पूर्ण होने पर चौथ के चंद्रमा को अघ्र्य देती हैं उनके पति की लंबी उम्र होती है। करवा चौथ व्रत के दिन करवा चौथ व्रत की कथा पढऩे-सुनने की मान्यता है। कहते हैं कि इस कथा को पढऩे से व्रत का महत्व पता चलता है और दांपत्य जीवन के सुखों में वृद्धि होती है।
इसलिए होती है चंद्रदेव की पूजा
शास्त्रों में चंद्रमा को आयु, सुख और शांति का कारक माना जाता है। इसलिए करवा चौथ के व्रत में चंद्रमा की पूजा करके महिलाएं पति की लंबी आयु की कामना करती है।शास्त्रों में चंद्रमा को आयु, सुख और शांति का कारक माना जाता है। इसलिए करवा चौथ के व्रत में चंद्रमा की पूजा करके महिलाएं पति की लंबी आयु की कामना करती है।
शास्त्रों में चंद्रमा को आयु, सुख और शांति का कारक माना जाता है। इसलिए करवा चौथ के व्रत में चंद्रमा की पूजा करके महिलाएं पति की लंबी आयु की कामना करती है।शास्त्रों में चंद्रमा को आयु, सुख और शांति का कारक माना जाता है। इसलिए करवा चौथ के व्रत में चंद्रमा की पूजा करके महिलाएं पति की लंबी आयु की कामना करती है।